महबूबा का काम बना रहे या बिगाड़ रहे हैं गुलाम नबी आजाद? अनंतनाग में उम्मीदवारी वापस लेने से किसे फायदा
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गुलाम नबी आजाद ने अनंतनाग सीट से उम्मीदवारी वापस लेने का ऐलान कर दिया है. आजाद के इस कदम से अनंतनाग सीट पर पीडीपी या नेशनल कॉन्फ्रेंस, किसको फायदा मिल सकता है? गुलाम नबी आजाद के चुनाव लड़ने का ऐलान कर कदम वापस खींचने के पीछे कई फैक्टर्स की चर्चा है.
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अनंतनाग लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया था. आजाद ने अब अपने कदम वापस खींच लिए हैं. गुलाम नबी आजाद ने अब कहा है कि हम लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
आजाद के इस कदम के बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि कभी कांग्रेस का कद्दावर चेहरा, राज्यसभा में विपक्ष का नेता और सूबे का सीएम रह चुके बड़े चेहरे ने चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर नामांकन से पहले ही अपने कदम वापस क्यों खींच लिए? आजाद के उम्मीदवारी वापस लेने से किसका फायदा होगा?
एनसी और पीडीपी से मजबूत उम्मीदवार
गुलाम नबी आजाद के चुनाव लड़ने का ऐलान कर कदम वापस खींचने के पीछे कई फैक्टर्स की चर्चा है. इनमें से एक फैक्टर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से मजबूत उम्मीदवारों का चुनाव मैदान में होना है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती खुद इस सीट से चुनाव मैदान में हैं तो वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ने छह बार के विधायक पूर्व मंत्री मियां अल्ताफ अहमद को टिकट दिया है.
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पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती इस सीट से दो बार सांसद रह चुकी हैं. वहीं, मियां अल्ताफ की बात करें तो वह गुर्जर समुदाय से आते हैं और उनकी पहचान गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के बीच लोकप्रिय नेता की है. मियां अल्ताफ के दादा मियां निजाम-उद-दीन भी नेशनल कॉन्फ्रेंस से विधायक रह चुके हैं. कश्मीर घाटी की दो प्रमुख पार्टियों ने समृद्ध राजनीतिक विरासत वाले नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है.
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