महंत नरेंद्र गिरि की मौतः डर के साए में हैं कई साधु संत, जानें क्या है बोधगया-वाराणसी कनेक्शन
AajTak
बोधगया मठ के महंत रमेश गिरि अपनी जान जाने के डर से बोधगया के मठ में नहीं रहते हैं. महंत रमेश गिरि को डर है कि बोधगया मठ में असामाजिक तत्व उनकी जान ले सकते हैं. पिछले आठ 10 महीनों से वह अपनी जान को बचाते हुए इधर-उधर भटक रहे हैं.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद देश के कई साधु संत सहमे और डरे हुए हैं. बिहार के बोधगया शंकराचार्य मठ के महंत रमेश गिरि ने कहा कि उनकी जान को खतरा है, इसी डर से वह मठ में नहीं रह रहे हैं. क्योंकि बोधगया शंकराचार्य मठ में जमीनी विवाद काफी सालों से चला आ रहा है, महंत नरेंद्र गिरि ने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड को मठ के विवाद सुलझाने के लिए पत्र भी लिखा था. नोएडा के ब्रह्मचारी अखाड़े के महंत ओम भारती ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि महंत नरेंद्र गिरि खुद दुर्गा पूजा के बाद बोधगया मठ जाने वाले थे. बोधगया मठ में चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए वहां के महंत रमेश गिरि ने उनसे मदद मांगी थी. रमेश गिरि पिछले 5 महीनों से वाराणसी के मठ में शरण लिए हुए हैं. उन्होंने यूपी सरकार से भी सुरक्षा की गुहार लगाई है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.