मलियाना नरसंहार: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब दाख़िल करने को कहा
The Wire
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 23 मई 1987 को पीएसी ने मेरठ के मलियाना गांव में मुस्लिम समुदाय के 72 लोगों की हत्या कर दी थी. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि तीन दशक बीत जाने के बाद भी ट्रायल कोर्ट में सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि एफआईआर समेत महत्वपूर्ण अदालती दस्तावेज़ संदिग्ध परिस्थितियों में ग़ायब हो गए हैं.
इलाहाबाद: एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1987 में मेरठ में हुए दंगे के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से सोमवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है. इस याचिका में दंगा पीड़ितों के लिए मुआवजा की भी मांग की गई है. ट्रायल कोर्ट में इस मामले की सुनवाई रुक गई है, क्योंकि एफआईआर समेत अदालत से से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो चुके हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और जस्टिस प्रकाश पाडिया की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार कुरबान अली द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया और सुनवाई की अगली तारीख 24 मई 2021 तय की. हाईकोर्ट के समझ कुरबान अली के अलावा इस मामले के अन्य याचिकाकर्ताओं में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी वीएन राय, इस्माइल नाम के एक पीड़ित (जिन्होंने परिवार के 11 लोगों को खो दिया) और राशिद नाग के एक वकील शामिल हैं. इन लोगों ने मेरठ ट्रायल कोर्ट में भी केस चलवाया था.More Related News