मराठा आरक्षण आंदोलन की आग तेज! मनोज जरांगे ने ठुकराया 'सर्वदलीय प्रस्ताव', अब पानी भी त्यागा
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मराठा आरक्षण के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने खाने के बाद अब पानी भी त्याग दिया है. बुधवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें मनोज से भूख हड़ताल खत्म करने के लिए कहा गया, लेकिन आरक्षण की बात ना माने जाने से नाराज मनोज ने पानी भी त्याग दिया.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की आग और बुरी तरह से भड़क सकती है. मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने खाना बंद करने के बाद अब पानी पीना भी छोड़ दिया है. मनोज के इस ऐलान के बाद अब महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है. क्योंकि उनके इस फैसले से मराठा आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन और ज्यादा हिंसक हो सकता है.
मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा,'सभी राजनीतिक दलों की बैठक हुई, लेकिन मराठा आरक्षण को लेकर कोई नतीजा नहीं निकल सका. इसलिए अब से मैंने पानी पीना भी बंद कर दिया है. महाराष्ट्र सरकार को मेरी एक सलाह है. आप कुछ मराठा युवाओं के खिलाफ मामला तो दर्ज कर सकते हैं. लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि मराठों की आबादी करीब 6 करोड़ है. इसलिए सरकार को फैसला करना ही होगा.'
'जितनी देर होगी, उतनी कीमत चुकानी पड़ेगी'
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठे मनोज ने आगे कहा,'मैं राज्य सरकार को चेतावनी दे रहा हूं कि आप आरक्षण देने के लिए कदम उठाने में जितना विलंब करेंगे. इसकी कीमत उतनी ही ज्यादा चुकानी पड़ेगी. इस मुद्दे पर सरकार को बात करनी चाहिए और अतिरिक्त समय मांगना चाहिए. मैं मराठा समुदाय से वादा करता हूं कि हम आरक्षण का अधिकार हासिल करने जा रहे हैं और हम जीतेंगे.'
मनोज ने हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील भी की
जरांगे ने कहा,'मैं मराठा समुदाय से भी अपील करता हूं कि वे अदालत में अपील करें और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराएं. मराठा समुदाय के लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ें, लेकिन हिंसा का रास्ता और आत्महत्या जैसा कदम ना उठाएं. विधायक बच्चू कडू मुझसे मिलने आए थे. उन्होंने बताया कि उनके पिता एक मराठा हैं और उनके पास कुनबी जाति का प्रमाण पत्र भी है. वह मराठों को आरक्षण देने की अपील करने वाले पहले राजनीतिज्ञ हैं.
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