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ममता बनर्जी की 18 वर्षों की कसम: पुलिस ने जब उन्हें घसीटते हुए सीढ़ियों से उतारा
BBC
ममता बनर्जी आखिर ज्योति बसु से किस बात पर ख़फ़ा थीं और उन्होंने ऐसी क्या कसम खाई जिसे 18 वर्षों तक निभाया? चप्पल में विधानसभा तक कदम ताल करने वालीं ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर के उतार चढ़ाव की पूरी कहानी.
तारीख़: 12 मई, 2011. स्थान: कोलकाता के कालीघाट स्थित ममता बनर्जी का खपरैल की छत वाला दो कमरों का कच्चा मकान. जैसे-जैसे 2011 विधानसभा चुनावों के नतीजे आ रहे थे, मकान के बाहर जुटे तृणमूल कांग्रेस के हज़ारों समर्थकों में उत्साह का ज्वार बढ़ रहा था. लेकिन ममता बनर्जी का चेहरा बेहद शांत था. बावजूद इसके, कि काँग्रेस से नाता तोड़कर अलग पार्टी बनाने के लगभग 13 साल बाद लेफ़्ट को सत्ता से बाहर करने का उनका सपना पूरा होता नज़र आ रहा था. साथ ही उनकी एक पुरानी कसम भी पूरी होने वाली थी. जब यह साफ़ हो गया कि टीएमसी भारी बहुमत से सत्ता में आने वाली है तो ममता जश्न मनाने की बजाय आगे की रणनीति बनाने में जुट गईं. वो तब केंद्रीय रेल मंत्री थीं और उन्होंने विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा था. नतीजे आने के बाद पूरी रात वे अपने क़रीबी सहयोगियों के साथ सरकार की रूप-रेखा बनाने में जुटी रहीं. ममता बनर्जी की बेहद क़रीबी रहीं सोनाली गुहा ने पहले यह वाकया बताया था. अब सोनाली टिकट नहीं मिलने की वजह से नाराज़ होकर बीजेपी में चली गई हैं.More Related News