
ममता और नवीन पटनायक बंगाल और ओडिशा में BJP को पांव जमाने से क्यों नहीं रोक पाये?
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Exit Poll 2024 ने साफ कर दिया है कि दक्षिण भारत में एंट्री के साथ ही बीजेपी ने पश्चिम बंगाल ओडिशा में पांव जमाना शुरू कर दिया है - आखिर ममता बनर्जी और नवीन पटनायक कहां चूक गये?
ममता बनर्जी के तेवर और उनकी रणनीति देखकर तो लगा था कि वो लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव जैसा कमाल दिखाने का इंतजाम कर चुकी हैं, लेकिन ये क्या उनके लिए तो 2019 में जीती सीटों का आंकड़ा बरकरार रख पाना भीा मुश्किल लग रहा है.
2014 में 34 लोकसभा सीटों पर काबिज ममता बनर्जी ने 2019 में भी 22 सीटें जीती थी, और बीजेपी को 18 सीटों पर ही रोक दिया था - लेकिन इस बार, तो 18 और 22 कौन कहे बीजेपी के तो 26-31 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है - और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में महज 11 से 14 सीटें ही मिलती लगती हैं. एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस को 0-2 सीटें मिल सकती हैं.
ओडिशा की बात करें तो एनडीए के हिस्से में 18 से 20 सीटें जाती लग रही हैं, और 2014 में 21 में से 20 सीटों पर कब्जा कर लेने वाली मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी के खाते में 0-2 सीटें ही जमा होती लग रही हैं.
2019 में 8 सीटों के नुकसान से 12 पर पहुंची बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान होना कहीं से भी अच्छे राजानीतिक संकेत नहीं हैं - अब तो ले देकर नवीन पटनायक की सारी उम्मीदें ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हैं.
दिल्ली के चक्कर में ममता कहीं बंगाल तो नहीं गंवा रही हैं?
2019 में बीजेपी ने एक झटके में ममता बनर्जी की बंगाल की दीवार में सेंध लगा दी थी, और लोकसभा सीटों की हिस्सेदारी में बस थोड़ा ही पीछे रही. ममता बनर्जी के लिए ये जोर का झटका ही नहीं, बहुत बड़ा सदमा भी था - वो तभी से सतर्क हो गईं, और 2021 के विधानसभा चुनावों में साबित भी कर दीं. चुनाव कैंपेन के लिए प्रशांत किशोर की मदद ली, और बीजेपी को 100 सीटों तक भी नहीं पहुंचने दिया.
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