मनरेगा के तहत पिछले चार साल में हुईं 935 करोड़ रुपये की गड़बड़ी: प्रेस रिव्यू
BBC
पूरे भारत में दो लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों में ऑडिट के बाद इस गड़बड़ी का पता चला है.
ग्रामीण विकास विभाग के तहत सामाजिक लेखापरीक्षा इकाइयों (एसएयू) ने पाया है कि पिछले चार सालों में मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में 935 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ हुई है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण इलाक़ों में लोगों को रोज़गार मुहैया कराया जाता है. अंग्रेज़ी अख़बार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रबंधन सूचना प्रणाली से ये आंकड़े प्राप्त किए हैं. आंकड़ों के मुताबिक अभी तक केवल 12.5 करोड़ रुपये यानी 1.34 प्रतिशत की ही भरपाई हो पाई है. ये डाटा साल 2017-18 से साल 2020-21 तक का है. साल 2017-18 में ये आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड होने शुरू हुए थे. तब से अब तक एसएयू ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 2.65 लाख ग्राम पंचायतों में पिछले चार सालों में कम से एक बार ऑडिट किया है.More Related News