'मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार वहीं हो जहां स्मारक बन सके...', खड़गे ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र
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कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह का परिवार अंतिम संस्कार और स्मारक की जगह के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं. देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया था.
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सीपीपी अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में शुक्रवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई. यह बैठक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए बुलाई गई थी.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस नेताओं ने चर्चा की कि दिवंगत पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के लिए उनके कद के अनुसार अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उचित स्थान दिया जाना चाहिए. इसे लेकर परिवार सरकार से बातचीत कर रहा है.
'अंतिम संस्कार वहीं हो...'
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यह मांग की है. खड़गे ने पीएम को पत्र लिखा और पीएम और गृहमंत्री से बात भी की और अंतिम संस्कार और दाह संस्कार के लिए उचित जगह देने की अपील की. अपने पत्र में खड़गे ने लिखा कि अंतिम संस्कार वहीं किया जाना चाहिए जहां उनका स्मारक बनाया जा सके.
सरकार से बातचीत कर रहा परिवार
कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मनमोहन सिंह का परिवार अंतिम संस्कार और स्मारक की जगह के लिए सरकार से बातचीत कर रहे हैं. देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज अंतिम संस्कार होगा. इससे पहले उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय लाया गया. यहां राहुल, प्रियंका, सोनिया गांधी और मलिकार्जुन खड़गे समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. आज करीब 11:45 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार होगा. देखें ये वीडियो.
मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार के समय हुई किसान कर्जमाफी भी 2009 के लोकसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई. 2009 के आम चुनाव में जीत के साथ कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई और मनमोहन सिंह का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरु के बाद पांच साल सरकार चलाने के बाद लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का जनादेश पाने वाले पहले प्रधानमंत्री के तौर पर भी दर्ज हो गया.