
मध्य प्रदेश: पर्यावरण दिवस पर वन बचा रहे शिवराज बक्सवाहा के जंगलों की बर्बादी पर मौन क्यों हैं
The Wire
बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है, जिसका व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है. विडंबना यह है कि बीते दिनों पर्यावरण बचाने की कसमें खाने वाले सत्ता और विपक्ष के अधिकांश नेता इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.
‘बाग-बगीचे, जंगल, हरियाली केवल मनुष्य के लिए ही जीवनदायिनी नहीं है, अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि के जीवन का आधार है.’ ये शब्द मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हैं, जो 5 जून 2021 यानी ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के दिन एक अखबार में छपे उनके लेख में लिखे थे. लेकिन, विडंबना देखिए कि पर्यावरण के प्रति इतनी अधिक संवेदनशीलता रखने वाले शिवराज के ही राज्य के एक हिस्से में उसी दिन उनकी ही सरकार के खिलाफ जंगल, हरियाली, जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि को ही बचाने के लिए लोग मुहिम चला रहे थे. क्या शिवराज इससे अनजान थे? बात हो रही ही छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल की. बता दें कि इस संरक्षित वन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा काटने की तैयारी है क्योंकि डेढ़ दशक पुरानी एक पड़ताल के मुताबिक अनुमान है कि यहां लगभग 3.42 करोड़ कैरेट हीरा जमीन में दबा है. इसे देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार माना जा रहा है. मध्य प्रदेश भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय (डीजीएमएमपी) की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस हीरे का अनुमानित बाजार मूल्य करीब 55,000 करोड़ रुपये है. इस परियोजना को ‘बंदर डायमंड प्रोजेक्ट’ नाम मिला है. 2019 में राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस हीरा खदान की नीलामी की थी. जिसके तहत आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनी एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड (ईएमआईएल) को खनन के लिए जंगल की 382.131 हेक्टेयर वन भूमि 50 साल की लीज पर मिली है.More Related News