मध्य प्रदेश: कोरोना काल में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करने के बजाय प्राइवेट अस्पतालों के खाते भरे गए
NDTV India
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह से चरमराई हुई हैं यह किसी से छिपा नहीं है. राज्य में जिस तरह से सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापम घोटाले के आरोपियों के अस्पतालों के हवाले कर दिया है, उसने स्वास्थ्य ढांचे के कमजोर चेहरे को एक बार फिर से उजागर कर दिया है. भोपाल का चिरायु अस्पताल व्यापम घोटाले के तहत आरोपों के घेरे में है, लेकिन आज की तारीख में इस अस्पताल पर ज्यादा भरोसा दिखाया जाता है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो भावुक होते हुए अस्पताल के निदेशक डॉ अजय गोयनका की मूर्ति बनाने की बात तक कही है.
मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह से चरमराई हुई हैं यह किसी से छिपा नहीं है. राज्य में जिस तरह से सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापम घोटाले के आरोपियों के अस्पतालों के हवाले कर दिया है, उसने स्वास्थ्य ढांचे के कमजोर चेहरे को एक बार फिर से उजागर कर दिया है. भोपाल का चिरायु अस्पताल व्यापम घोटाले के तहत आरोपों के घेरे में है, लेकिन आज की तारीख में इस अस्पताल पर ज्यादा भरोसा दिखाया जाता है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तो भावुक होते हुए अस्पताल के निदेशक डॉ अजय गोयनका की मूर्ति बनाने की बात तक कही है. इतना ही नहीं इसी अस्पताल में जुलाई में कोविड संक्रमित होकर मुख्यमंत्री भर्ती हुए, वहीं से कामकाज संभाला और अगस्त में डिस्चार्ज भी हुए. जून 2020 में अस्पताल ने एक साथ एक हजार मरीजों के डिस्चार्ज होने का दावा किया था. जबकि 1 जून तक अस्पताल के खुद के आंकड़े 976 मरीजों पर थे. खुद उस दिन राज्य सरकार के बुलेटिन ने 963 मरीजों के डिस्चार्ज होने की बात कही थी. जिसमें 125 एम्स से, 54 हमीदिया बाकी दूसरे अस्पतालों से थे. लगभग 1100 बिस्तरों के साथ भोपाल में सबसे ज्यादा मरीजों के इलाज का दावा करने वाले चिरायु अस्पताल में पिछले एक साल में मुख्यमंत्री के अलावा राज्य के स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष नौकरशाहों, मंत्रियों और कई वीआईपी रोगियों का इलाज किया गया.More Related News