
मद्रास हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी- शादी कोई अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र बंधन है
ABP News
जस्टिस वैद्यनाथन ने कहा कि पारिवारिक अदालत के पिछले साल 19 फरवरी के आदेश से पारिवारिक मुद्दे का तो पहले ही निस्तारण हो गया है , अब याचिकाकर्ता के विरूद्ध विभाग द्वारा दंडात्मक कार्रवाई का प्रश्न नहीं उठता, जब पत्नी की क्रूरता एवं स्वेच्छा से पति को छोड़ देने की बात स्पष्ट रूप से सामने हो.
चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने युवा दंपतियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि पति एवं पत्नी को इस बात का अहसास करना चाहिए कि ‘अहंकार’ एवं ‘ असहिष्णुता’ जूते की तरह हैं जिन्हें घर में कदम रखने से पहले बाहर ही छोड़ देना चाहिए, अन्यथा उनके बच्चों को दयनीय जिंदगी से जूझना पड़ेगा. जस्टिस एस वैद्यनाथन ने युवाओं को यह भी याद दिलाया कि विवाह कोई अनुबंध नहीं बल्कि पवित्र बंधन है. उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 में सह-जीवन (लिव-इन-रिलेशनशिप)को मंजूरी देने से पवित्र बंधन का कोई अर्थ नहीं रह गया हैMore Related News