मद्रास हाईकोर्ट के प्रेस परिषद गठन के आदेश के प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैंः मीडिया संगठन
The Wire
मद्रास हाईकोर्ट ने फेक न्यूज़ और फ़र्ज़ी पत्रकारों की समस्या से निपटने के लिए 19 अगस्त को तमिलनाडु सरकार को तीन महीने के भीतर प्रेस परिषद के गठन का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने इस प्रस्तावित परिषद को व्यापक अधिकार दिए हैं, जिसमें राज्य के प्रेस क्लबों, पत्रकार संघों या यूनियन को मान्यता देने का अधिकार भी शामिल है. पत्रकार संगठनों का कहना है कि इससे प्रेस की स्वतंत्रता बाधित हो सकती है.
नई दिल्लीः समाचार एवं पत्रकार संगठनों ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को लेकर चिंता जताई है, जिसमें ब्लैकमेलिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल फर्जी पत्रकारों से निपटने की बात कही गई थी. संगठनों का कहना है कि अदालत के इस आदेश का अनापेक्षित खामियाजा भुगतना पड़ सकता है और इससे प्रेस की स्वतंत्रता बाधित हो सकती है और यह वास्तविक पत्रकारों के अधिकारों को हानि पहुंच सकता है. मद्रास हाईकोर्ट ने 19 अगस्त के आदेश में तमिलनाडु सरकार से राज्य प्रेस परिषद का गठन करने को कहा था. इस प्रस्तावित तमिलनाडु प्रेस परिषद (पीसीटीएन) की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे और इसके सदस्यों में अनुभवी पत्रकार और सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस अधिकारी होंगे.More Related News