
मणिपुर को ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा देना अब ज़रूरी नहीं: राज्य मानवाधिकार आयोग
The Wire
राज्य से आफ़स्पा हटाने को लेकर दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने कहा कि यह क़ानून सशस्त्र बलों को क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर गोली मारने तक का अधिकार देता है. यह संविधान के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
इंफाल: मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने कहा है कि मणिपुर को ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा देना अब जरूरी नहीं है, क्योंकि विद्रोहियों से जुड़ीं गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आई है.
आयोग ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA) यानी कि आफस्पा को निरस्त करने को लेकर साल 2020 में एक स्वत: संज्ञान मामला दर्ज किया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसी संबंध में मणिपुर के अतिरिक्त डीजीपी ने एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिस पर विचार करने के बाद बीते 29 दिसंबर को आयोग ने यह सिफारिश की.
यह स्वत: संज्ञान मामला फॉरेंसिक स्टडी एंड प्लेसमेंट के चेयरमैन टीएच सुरेश द्वारा दायर एक याचिका को लेकर दर्ज किया गया था.