मंडला की पहचान अब सतत प्रवाहमान नर्मदा के साथ रज़ा से भी बन रही है
The Wire
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मध्य प्रदेश के मंडला में चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की स्मृति में ज़िला प्रशासन द्वारा बनाई गई कला वीथिका क्षेत्र के एकमात्र संस्कृति केंद्र के रूप में उभर रही है.
इस बार चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की छठवीं पुण्यतिथि पर हम फिर मंडला में थे, जहां यह मूर्धन्य अपने पिता के बग़ल की कब्र में दफ़न है. दोनों के अंतिम शरण्य को कुछ व्यवस्थित और सुकल्पित रूप दे दिया गया है. मंडला से नागपुर और जबलपुर को जाने वाली सड़कें भी अब बेहतर हैं. इसी बारिश में हमें उनका शव नागपुर से लाने में छ: से अधिक घंटे लगे थे- इस बार लौटने में चार घंटे काफ़ी हुए.
मंडला में रज़ा के नाम पर ज़िला प्रशासन ने एक कला वीथिका बनाई है और एक मार्ग का नाम उन पर रखा है. चूंकि इस बार हम रज़ा जन्मशती भी मना रहे हैं, हमारा वार्षिक आयोजन कुछ अधिक विशद और विपुल था.
दो महीने से चल रही बच्चों की कथक कार्यशाला संपन्न हुई. बच्चों के ही लिए मिट्टी में काम करना सिखाने की एक कार्यशाला हुई. नागरिकों ने गमले और छातों पर चित्रकारी की और हमने उन्हें चित्रित सामग्री को अपने साथ घर ले जाने दिया. थोड़ा और पहले हुई पत्थर पर शिल्प बनाने की एक युवा मूर्तिकला कार्यशाला में जो शिल्प बने वे अब वीथिका के अहाते में स्थायी रूप से प्रदर्शित हैं.
इस बार हम बारिश और अन्य असुविधाओं के कारण नर्मदा-तट पर कुछ करने नहीं जा पाए. सारी गतिविधियां रज़ा वीथिका के परिसर या उसके अंदर हुईं. वीथिका मंडला में एकमात्र संस्कृति केंद्र के रूप में इस तरह उभरी.