
भूकंप के केंद्र से 10 किमी दूर है म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर मांडलेय, जहां मची तबाही
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मांडलेय का ऐतिहासिक एवा ब्रिज भी भूंकप की तबाही का शिकार बना, जिसका निर्माण साल 1934 में अंग्रेजों ने कराया था. इरावदी नदी पर बने इस पुल को ओल्ड सागाइंग ब्रिज के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि यह दोनों शहरों को जोड़ता है.
म्यांमार में शुक्रवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. भूकंप इतना तेज था कि थाईलैंड से लेकर बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी धरती कांप उठी. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.7 आंकी गई है. भूकंप का केंद्र म्यांमार का सागाइंग शहर था और झटकों की वजह से म्यांमार के मांडलेय में इरावदी नदी पर बना एवा ब्रिज (Ava Bridge) ढह गया. चीन और ताइवान के कुछ हिस्सों में भी इस भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.
क्यों खास है मांडलेय शहर
भूकंप प्रभावित शहर मांडलेय की स्थापना 1857 में तत्कालीन बर्मा के राजा मिंडन ने की थी. साल 1885 में अंग्रेजों के कब्जे में आने से पहले मांडलेय ही आखिरी राजधानी थी. अंग्रेजों ने यंगून (पहले रंगून) को राजनीतिक और व्यापारिक राजधानी बना दिया है. लेकिन मांडलेय अब भी म्यामांक की सबसे बड़ी सांस्कृतिक राजधानी है, जहां बौद्ध धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण इमारते हैं.
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भूकंप से पहले भी इस शहर ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी काफी तबाही झेली है. तब अंग्रेजों के अधीन इस इलाके पर कब्जे के लिए यहां जापान ने जमीनी और हवाई हमला किया था. जापानी हमले से बचने के लिए अंग्रेजों ने कोई तैयारी नहीं की थी. बल्कि अपनी एयरफोर्स को अंग्रेज भारत की हिफाजत के लिए ले गए थे. कहा जाता है कि जापानी हमले से मांडलेय के तीन-चौथाई यानी 75 फीसदी घर तबाह हो गए थे और 2000 नागरिक मारे गए थे. हालिया भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा तो फिलहाल साफ है, लेकिन यह तय है कि मांडलेय अपने इतिहास की दूसरी बड़ी तबाही का गवाह बन गया है.
भूकंप से ऐवा ब्रिज भी तबाह

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