![भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है? जानिए क्या कहते हैं BHU के एक्सपर्ट](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202211/bhauukanpa_1-sixteen_nine.jpg)
भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है? जानिए क्या कहते हैं BHU के एक्सपर्ट
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आखिर क्यों बार-बार आ रहे हैं भूकंप के झटके? क्या इसकी भविष्यवाणी की जा सकती है? क्या किसी अन्य तरीके से भूकंप का पता लगाया जा सकता है? क्या आने वाले दिनों में किसी बड़ी आपदा की आशंका है? इन सब बातों की जानकारी दी है, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भू-भौतिकी विभाग के भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश कुमार जी ने.
भूकंप के झटकों से पहली बार नेपाल, तो दूसरी बार अरुणाचल प्रदेश हिल गया. आखिर क्यों बार-बार भूकंप के झटके आ रहे हैं? क्या इसकी भविष्यवाणी की जा सकती है? क्या किसी अन्य तरीके से भूकंप का पता लगाया जा सकता है? क्या आने वाले दिनों में किसी बड़ी आपदा की आशंका है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भू-भौतिकी विभाग के भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश कुमार से...
भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश ने बताया, "इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल डेवलप होता है. एक लिमिट के बाद इसमें फ्रेक्शन बढ़ जाता है. इसी वजह से भूकंप आता है. दो प्लेटों के टकराने की वजह से ऐसी घटना होती है. भूकंप की भविष्यवाणी का दावा तो बहुत सारे लोग करते हैं, लेकिन उसके पीछे किसी तरह की वैज्ञानिक पद्धति नहीं है."
आज तक कोई रिसर्च नहीं हुई है सफल
उन्होंने आगे बताया, "चाइना ने एक समय दावा किया था कि जानवरों के व्यवहार को देखकर भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है. मगर, यह भी दावा भी सही साबित नहीं हुआ. वैसे भूकंप की भविष्यवाणी तीन दावों पर निर्भर करती है कि भूकंप कब आएगा? भूकंप कहां आएगा? और भूकंप कितनी तीव्रता का आएगा? इन तीनों भविष्यवाणी को लेकर कोई दावा नहीं कर सका है, इसलिए आज तक कोई भी रिसर्च सफल नहीं हुई है."
छोटी तीव्रता भूकंप से बड़ी तीव्रता के भूकंप की होने की आशंका कम
भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश ने कहा, "भूकंप के लिहाज से भारत को अलग-अलग 5 जोन में बांटा गया है. जोन-2 से जोन-5 तक को सेसमिक क्षेत्र में बांटा गया है. जोन-2 में कम से कम सेसमिक एक्टिविटी होती है. वहीं, जोन-5 में सबसे ज्यादा सेसमिक एक्टिविटी होती है. हिमालयन क्षेत्र की वजह से जोन-4 और 5 में सबसे ज्यादा सेसमिक एक्टिविटी रहता है. छोटी तीव्रता के भूकंप आने से बड़ी तीव्रता के भूकंप नहीं आता है. जहां पर भूकंप आते हैं वहां फिर भूकंप आ सकते हैं. इसे आफ्टरशॉक कहते हैं."
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