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भीमा कोरेगांव मामलाः सुधा भारद्वाज को रिहाई के लिए करना होगा इंतज़ार, ज़मानत की शर्तें तय नहीं
BBC
सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में माओवादियों की मदद करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें डिफ़ॉल्ट ज़मानत दे दी है.
छत्तीसगढ़ की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में ज़मानत दे दी है. हालाँकि अभी उनकी रिहाई नहीं हो पाएगी क्योंकि उनकी ज़मानत की शर्तें तय नहीं हुई हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत की शर्तें तय करने के लिए आठ दिसंबर को सुधा भारद्वाज को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है.
अदालत में सुधा भारद्वाज के वकील का कहना था कि एनआईए एक्ट के तहत केवल एक विशेष अदालत को ही गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन इस मामले में पुणे सत्र न्यायालय ने 2018-19 में इस मामले में संज्ञान लिया, जो नियम विरुद्ध था.
2018 के भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में सुधा भारद्वाज के अलावा वरवर राव, सोमा सेन, सुधीर धावले, रोना विल्सन, एडवोकेट सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की ओर से भी ज़मानत याचिका दायर की की गई थी.
लेकिन अदालत ने सुधा भारद्वाज के अलावा अन्य लोगों को ज़मानत ख़ारिज कर दी.