
भीमा कोरेगांव केस: एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका पर HC ने फैसला रखा सुरक्षित
NDTV India
Bhima Koregaon case: वकील युग चौधरी ने जिरह करते हुए कहा कि कानून और व्यवस्था पूरी तरह से राज्य सूची का विषय है और यह लॉ एंड ऑर्डर का मामला था.महाराष्ट्र पुलिस 2 साल से जांच कर रही थी लेकिन एनआईए ने मामले को NIA अधिनियम की धारा 6(5) के तहत अपने पास ले लिया जबकि राज्य सरकार ने अपनी ओर से खुद नहीं दिया था.
Bhima Koregaon case: भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) में सोशल एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) की जमानत याचिका (Bail plea) पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. मामले पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हुई. इस दौरान सुधा के वकील और एडीशनल सॉलिसटर जनरल ने अपना पक्ष रखा. सुधा के वकील युग चौधरी ने जिरह करते हुए कहा कि कानून और व्यवस्था पूरी तरह से राज्य सूची का विषय है और यह लॉ एंड ऑर्डर का मामला था.महाराष्ट्र पुलिस 2 साल से जांच कर रही थी लेकिन एनआईए ने मामले को NIA अधिनियम की धारा 6(5) के तहत अपने पास ले लिया जबकि राज्य सरकार ने अपनी ओर से खुद नहीं दिया था. एनआईए अधिनियम की धारा 19 के तहत मामलों को तेजी से ट्रैक किया जाता है. UAPA की 13 के तहत अपराध एक मजिस्ट्रेट अदालत में जा सकता है लेकिन UAPA धारा 29 एक मजिस्ट्रेट की शक्ति के बारे में विचार-विमर्श करती है और कहती है कि एक मजिस्ट्रेट की अदालत 3 साल से अधिक की सजा नहीं दे सकती है.विभिन्न अपराधों के लिए एक ही धारा से निपटने के दौरान राज्य पुलिस और एनआईए के बीच अंतर क्यों होना चाहिए. UAPA जांच एजेंसियों के बीच अंतर नहीं करता है कि राज्य इसे अलग तरह से लागू करेगा और केंद्रीय एजेंसी इसे अलग तरह से इस्तेमाल करेगी.More Related News