भारी बारिश की भविष्यवाणी करने में मौसम विभाग नाकाम? 7 राज्यों पर मुसीबत के बाद उठे ये सवाल
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भारी बारिश और बाढ़ की वजह से सात राज्यों में स्थिति बिगड़ी हुई है. अब तक 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मौसम विभाग भारी बारिश की ठीक भविष्यवाणी करने में फेल हुआ है?
पहाड़ हों या मैदानी इलाके, उत्तर भारत के सभी राज्य इस वक्त कुदरत के आगे बेबस दिख रहे हैं. दिल्ली, हिमाचल प्रदेश की हालत सबसे खराब है. वहीं पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. कुल सात राज्य बाढ़ और बारिश का कहर झेल रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश की बात करें तो वहां हालात ठीक वैसे हैं जिसकी वजह से दस साल पहले केदारनाथ में प्रलय आई थी, इसमें छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस बार की बात करें तो हिमाचल समेत बाकी 7 राज्यों में आई जल प्रलय से अब तक 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जहां बारिश की वजह से परेशानी बढ़ी है, उसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर शामिल हैं.
ऐसे में आम लोगों और एक्सपर्ट्स के बीच अब चर्चा इस बात को लेकर है कि ऐसे हालात क्या अब 'न्यू नॉर्मल' होंगे? मतलब ऐसी रिकॉर्डतोड़ और भयानक बारिश बार-बार देखने को मिलती रहेगी या इस साल यह बस अपवाद है. भारी बारिश का एक ट्रेंड और यह है कि किसी राज्य के छोटे-छोटे हिस्से में ज्यादा बारिश होती है और वहीं स्थिति बिगड़ती भी है.
उत्तर भारत में ऐसे हालात क्यों बने हैं इसकी वजह तलाशने की हमने कोशिश की. इस तलाश में कुछ सवाल हमारे सामने आए.
सबसे पहला सवाल यही है कि क्या भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सहित दूसरी केंद्रीय एजेंसियां मौसम को लेकर ठीक भविष्यवाणी नहीं कर पा रहीं? क्या ये एजेंसियां ऐसे भयानक मौसम की जानकारी वक्त पर नहीं दे पातीं जिसकी वजह से नुकसान ज्यादा होता है?
दूसरा सवाल यह है कि ऐसी मौसमी गतिविधियों का पता लगाना कितना मुश्किल है? क्योंकि असल में ऐसी चरम घटनाएं किसी सीमित हिस्से में ही होती हैं, मतलब इनसे बड़ा क्षेत्र प्रभावित नहीं होता है.
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