
भारद्वाज के आरोप पर एनआईए: सेशन जज संज्ञान ले सकते हैं, क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है
The Wire
बीते छह जुलाई को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता एवं वकील सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के ज़रिये बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया था कि 2018 में उनकी गिरफ़्तारी के बाद जिस न्यायाधीश (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश) ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था, उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का ‘दिखावा’ किया था और उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा.
मुंबईः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता एवं वकील सुधा भारद्वाज की हिरासत अवधि बढ़ाना और निचली अदालत द्वारा पुणे पुलिस को 2018 में चार्जशीट दायर करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा बढ़ाने की मंजूरी देने का फैसला वैध और उचित था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुधा भारद्वाज के वकीलों का कहना है कि निचली अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश केडी वडाने को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के संबंध में मामलों की सुनवाई करने के लिए नामित नहीं थे. बीते छह जुलाई को सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के जरिये बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया था कि 2018 में उनकी गिरफ्तारी के बाद जिस न्यायाधीश (केडी वडाने) ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था, उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का ‘दिखावा’ किया था और उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. हालांकि, एनआईए का कहना है कि जज वडाने कानून के तहत सक्षम थे, क्योंकि विशेष न्यायाधीश सत्र न्यायाधीशों से अलग नहीं होते.More Related News