भारत में धर्मांतरण क़ानून और ईसाइयों का डर
BBC
उत्तर प्रदेश से लेकर झारखंड और छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन कानून के पक्षधर और उसका विरोध करने वालों के बीच किस तरह का संघर्ष जारी है?
फरवरी महीने में छत्तीसगढ़ के आदिवासी गांव ब्रिम्डेगा में लगभग दो दर्जन लोगों की एक रंगा-रंग धार्मिक समारोह में हिन्दू धर्म में वापसी कराई गयी. समारोह का आयोजन करने वाले इस प्रक्रिया को 'घर वापसी' कहते हैं.
इसका मतलब है हाल के सालों में हिन्दू से ईसाई बनाए जाने वालों की हिन्दू धर्म में फिर से वापसी.
हिन्दू धर्म में 'वापस' होने वाले एक युवक परमेश्वर एक्का ने मुझसे कहा कि उसने कई महीनों तक अपने गुरु से विचार-विमर्श के बाद हिन्दू धर्म में फिर से वापिस लौटने का फ़ैसला किया, "हम लोग हिन्दू ही हैं शुरू से. अनजाने में ईसाई धर्म में साल-दो साल के लिए चले गए थे. उसमें विनती प्रार्थना करवाते थे कि ये प्रार्थना करो तो तुम्हारा दुःख, तकलीफ दूर हो जायेगा. साल भर गए लेकिन कुछ नहीं हुआ. फिर गुरु के द्वारा हमारा आज धर्म परिवर्तन हो गया. पैर धोकर हिन्दू धर्म में वापसी किए."
ब्रिम्डेगा छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में है जो झारखण्ड और ओडिशा से सटा हुआ है. ये एक बड़ी आदिवासी बेल्ट है. इस पूरे क्षेत्र में सालों से लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाने का एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है जिसमें आर्य समाज, बीजेपी, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और संघ परिवार के कई दूसरे संगठन शामिल हैं.
जनगणना के अनुसार 1991 के बाद से छत्तीसगढ़, झारखण्ड और ओडिशा के आदिवासी क्षेत्र में ईसाई आबादी बढ़ी है. इस क्षेत्र में इस अभियान का नेतृत्व बीजेपी के जाने-माने नेता प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के हाथ में है जिनके पिता दिलीप सिंह जूदेव ने ये काम 1985-86 में शुरू किया था.