भारत मंडपम में लगी नटराज की मूर्ति, एशिया में 'तांडव' मचाने वाले साम्राज्य से क्या है कनेक्शन?
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G-20 के वेन्यू भारत मंडपम में 27 फीट ऊंची नटराज की मूर्ति लगाई गई है. अष्टधातु से बनी ये नटराज की सबसे ऊंची मूर्ति है. इस मूर्ति को प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन स्थापति और उनकी टीम ने बनाया है. ये मूर्ति करीब 10 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुई है.
दिल्ली के प्रगति मैदान में बने भारत मंडपम में 'नटराज' की मूर्ति लगाई गई है. भारत मंडपम वही जगह है जहां G-20 समिट होने जा रही है. अष्टधातु से बनी नटराज की ये दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति है. दो दिन पहले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने नटराज की मूर्ति की तस्वीरें साझा की थीं. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'भारत मंडपम में भव्य नटराज की मूर्ति हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति के पहलुओं को जीवंत करती है. जैसे ही दुनिया G-20 समिट के लिए एकजुट होगी, ये भारत की सदियों पुरानी कला और परंपरा के प्रमाण के रूप में खड़ी होगी.'
नटराज को भगवान शिव का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस रूप में भगवान शिव तांडव नृत्य की एक मुद्रा में हैं.
27 फीट ऊंची है मूर्ति
इस मूर्ति को तमिलनाडु के स्वामी मलाई के प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन स्थापति और उनकी टीम ने बनाया है. राधाकृष्णन के पूर्वज चोल साम्राज्य के समय से मूर्तियां बना रहे हैं. ये मूर्ति अष्टधातु- कॉपर, जिंक, लीड, टिन, सिल्वर, गोल्ड, मरकरी और आयरन से बनी है. इसका वजन 18 टन है. इसे बनाने में करीब 10 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसकी ऊंचाई 27 फीट है. दावा है कि अष्टधातु से बनी ये दुनिया की सबसे ऊंची नटराज की मूर्ति है.
ऐसे बनी है ये मूर्ति
इस मूर्ति को 'लॉस्ट वैक्स मेथड' से बनाया गया है. इसी मेथड से चोल साम्राज्य में भी मूर्तियां बनाई जाती थीं. माना जाता है कि लॉस्ट-वैक्स मेथड छह हजार से ज्यादा भी ज्यादा पुरानी हो सकती है. लॉस्ट वैक्स मेथड सदियों तक धातु की मूर्तियां बनाने में इस्तेमाल होती रही. हालांकि, चोल साम्राज्य में इस मेथड का जमकर इस्तेमाल हुआ.
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