
भारत-पाकिस्तान: 1971 की लड़ाई में भारतीय मेजर ने अपने हाथों से काटी थी अपनी टाँग- विवेचना
BBC
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई 1971 की लड़ाई में एक मोर्चा सिलहट का भी था जहां गोरखा सैनिकों ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया था.
बात 7 दिसंबर, 1971 की है. अतग्राम और गाज़ीपुर की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों को शिकस्त देने के बाद '5 गोरखा राइफ़ल' की चौथी बटालियन के जवानों को आराम के लिए चार दिन दिए गए थे. उन जवानों ने जंगल के तालाब में नहा कर अपने कपड़े सुखाए ही थे कि ब्रिगेड मुख्यालय से कमांडिंग ऑफ़िसर लेफ़्टिनेट कर्नल हरोलिकर के लिए एक फ़ोन आया. उनको बताया गया कि उनकी बटालियन को एक और काम दे दिया गया है और उनको तुरंत आगे बढ़ना है. हरोलिकर ने ये कह कर इसका विरोध किया कि उनके जवान चार दिनों से सोये नहीं हैं, उनको आराम की सख़्त ज़रूरत है. ब्रिगेड कमांडर बंटी क्विन ने कहा, "हैरी क्या आप समझते हैं कि मैंने इसका विरोध नहीं किया होगा? लेकिन मेरी बात सुनी नहीं गई."More Related News