भारत-पाकिस्तान संबंध: क्या परमाणु हथियार दोनों देशों के बीच पारंपरिक युद्ध में रुकावट हैं?
BBC
कारगिल युद्ध से पहले सेनाध्यक्ष परवेज़ मुशर्रफ़ ने क्यों कहा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा. भारत की तरफ़ से क्या बयान दिए गए? भारत ने युद्ध को अंतरराष्ट्रीय सीमा तक क्यों नहीं बढ़ाया? जानिए इन सभी सवालों के जवाब.
जून 2002 की चिलचिलाती धूप में झेलम में मिसाइल दागे जाने की जगह पर मूड और माहौल में निराशा थी. कारण यह था कि भारत के साथ सैन्य तनाव बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गया था. भारत अपनी आक्रामक 'थ्री स्ट्राइक' कोर सीमा के पास तैनात कर चुका था, ये फ़ौज की उस भारी टुकड़ी के अलावा थी जो तोपखाने और बख्तरबंद के साथ सीमा पर तैनात थी. पाकिस्तान की थल सेना भी जवाबी तैनाती पूरी कर चुकी थी, लेकिन इनके आवागमन पर भारी खर्च हो रहा था. वैसे भी भारत की तुलना में पाकिस्तान के पास टुकड़ी भी कम थी और हथियारों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में ही काफी अंतर था. तीन साल पहले लोकतांत्रिक सरकार का तख़्ता पलटने वाले तानाशाह सेना अध्यक्ष जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ख़ुद झेलम में उस स्थान पर मौजूद थे जहाँ से ये मिसाइल दागी जानी थी. कहूटा रिसर्च लैबोरेट्री के दो दर्जन से अधिक वैज्ञानिक ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली गौरी (जो एक हज़ार किलोमीटर से अधिक दूर स्थित बड़े शहरों के केंद्रों तक मार करने में सक्षम हैं) और अब्दाली व गजनवी (जो गौरी के अपेक्षाकृत कम दूरी तक मार करती हैं लेकिन किसी भी सैन्य लक्ष्य को आसानी से मारने में अधिक कारगर हैं) मिसाइल परीक्षण प्रक्रिया शुरू करने के लिए वहाँ मौजूद थे.More Related News