भारत-चीन तेल सस्ता करने के अमेरिकी फ़ैसले के साथ, ओपेक से हो सकता है टकराव
BBC
अमेरिका ने ओपेक देशों को तेल का उत्पादन तेज़ी से बढ़ाने के लिए मनाने की कोशिश की पर वो नहीं माने. इसके बाद अमेरिका ने कई देशों के साथ मिलकर अपने रणनीतिक भंडारों का उपयोग करने का फ़ैसला लिया.
अमेरिका ने मंगलवार को घोषणा की कि पेट्रोल के दाम कम करने के लिए वो अपने "रणनीतिक भंडार" से 5 करोड़ बैरल कच्चा तेल जारी करेगा, ताकि इससे अमेरिकी लोगों को राहत मिले.
उसका यह ठोस कदम केवल अमेरिका तक ही सीमित नहीं रहा. बाइडन सरकार चीन, जापान, ब्रिटेन, भारत और दक्षिण कोरिया जैसी दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी ऐसा करने के लिए मनाने में कामयाब रही. जाहिर सी बात है कि इससे बाज़ार में तेल की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिली.
पिछले डेढ़ साल से, तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्य देशों और रूस (सभी को मिलाकर 'ओपेक प्लस') के बीच एक सहमति बनी हुई है. इसके जरिए कोरोना की वजह से तेल की मांग कम हो जाने के चलते दाम के काफ़ी कम हो जाने के बाद इसका उत्पादन भी घटा दिया गया.
कच्चे तेल के इन प्रमुख उत्पादकों की कोशिश है कि इसके दाम बढ़ाने के लिए बाज़ार को नियंत्रण में रखा जाए.
अमेरिका ने ओपेक के सदस्य देशों को कोरोना का असर कम होने के बाद तेल का उत्पादन तेज़ी से बढ़ाने के लिए मनाने की कोशिश की. लेकिन इन देशों का कहना है कि वो अपने उत्पादन को धीरे-धीरे और सीमित मात्रा में ही बढ़ाएंगे.