भारत को बचाने की लड़ाई हम में से हरेक को लड़नी होगी
The Wire
भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले हम सभी लोगों के सामने यह चुनने का रास्ता है कि या तो हम इंसाफ़ की एक साझी सोच की दिशा में काम करें, उस दर्द और नफ़रत को दूर करने के लिए, जो हमारी सारी सामूहिक स्मृतियों को निगल रहे हैं, या फिर इन हालात को और बिगड़ने दें.
(यह लेखक और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय द्वारा 19 अप्रैल 2022 को यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस, ऑस्टिन में दिया गया भाषण है.)
गुड आफ़्टरनून, और मुझे सिसी फेरेन्टहोल्ड लेक्चर देने के लिए बुलाने के लिए आपका शुक्रिया. मैं लेक्चर शुरू करूं, इससे पहले मैं यूक्रेन में जंग के बारे में कुछ बातें कहना चाहूंगी. मैं रूसी हमले की साफ़ शब्दों में निंदा करती हूं और यूक्रेनी अवाम के साहसिक प्रतिरोध की तारीफ़ करती हूं. मैं उन असहमत रूसी लोगों के साहस की तारीफ़ भी करती हूं जिसके लिए उन्होंने भारी क़ीमत चुकाई.
ऐसा कहते हुए मुझे संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के दोमुंहेपन का गहरा दर्द भरा एहसास भी है, जिन्होंने साथ मिलकर दुनिया के दूसरे मुल्कों पर ऐसी ही जंगें छेड़ी हैं. साथ मिलकर इन्होंने परमाणु होड़ का नेतृत्व किया है और इतने हथियारों का ज़ख़ीरा इकट्ठा कर लिया है जो हमारी पृथ्वी को कई-कई बार तबाह कर सकते हैं.