भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने को लेकर गंभीर नहीं है चीन! अमेरिका ने ड्रैगन की नीयत पर जताया शक
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चीन के साथ भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है. सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति है, लेकिन इसके बाद भी चीन हालात में सुधार नहीं करने को लेकर गंभीर नहीं है. यह बात अमेरिका की तरफ से कही गई है. बाइडेन सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि चीन सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश नहीं कर रहा है.
चीन के साथ सीमा को लेकर लंबे समय से भारत का विवाद चल रहा है. दोनों देशों ने बॉर्डर से सटे अपने-अपने इलाकों पर बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती कर रखी है. तनावपूर्ण हालातों के बीच अमेरिका ने दावा किया है कि चीन दोनों देशों के बीच जारी शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि इस बात के अब तक बेहद कम संकेत मिले हैं कि भारत के साथ चल रही शांति वार्ता को चीन गंभीरता से ले रहा है.
अमेरिका ने भारत-चीन की सीमा विवाद सुलझाने को लेकर अपने समर्थन की बात दोहराई है. अमेरिका का कहना है कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत होनी चाहिए. बता दें कि पूर्वी लद्दाख में कुछ पॉइंट्स पर भारत और चीन की सेना के बीच पिछले 3 साल के टकराव जारी है. भारत का इस मुद्दे पर क्लीयर स्टैंड है कि जब तक सीमा पर शांति स्थापित नहीं हो जाती, चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं.
LAC पर उकसावे वाली एक्टिविटी कर रहा चीन
स्टेट फॉर साउथ एंड सेंट्र एशिया के असिस्टेंट सेक्रेट्री डोनाल्ड लू ने एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा,'चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर हमारा रुख स्पष्ट है. दोनों देशों को बातचीत के जरिए इसे हल करना चाहिए. हालांकि इसके आसार बेहद कम दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि चीन इस बातचीत को गंभीरता से नहीं ले रहा है. इसके विपरीत हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उकसावे वाली एक्टिविटी को नियमित देख रहे हैं.'
भारत के समर्थन की बात पर अमेरिका कायम
अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि चीन की चुनौती का सामना करते हुए भारत, अमेरिका के साथ खड़े होने पर भरोसा कर सकता है. गलवान संकट के दौरान 2020 में भी अमेरिका अपनी इस बात को लेकर संकल्पित था. इससे पहले एक शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत-चीन सीमा विवाद की बढ़ती संभावना का अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति पर प्रभाव पड़ेगा.
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