भारत के लिए 'हीरा' है लाल सागर, अमेरिका के इस फैसले से बढ़ी टेंशन... दुनिया के लिए अलर्ट!
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लाल सागर (Red Sea) के रास्ते माल ढोने वाली जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले (Houthi rebels Attack) और फिर अमेरिका की ओर से जवाबी अटैक के कारण भारत और अन्य देशों के कारोबार पर गहरा असर पड़ते हुए दिख रहा है. आइए जानते है इस हमले का भारत पर कितना असर हो सकता है.
अक्टूबर में इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas war) के बाद लाल सागर (Red Sea) में माल ढोने वाले जहाजों पर भी हमला शुरू हो गया. हमास को समर्थन देने के लिए हूती विद्रोहियों (Houthi rebels) ने उन जहाजों को निशाना बनाया है, जो मिस्र के स्वेज नहर के रास्ते या उससे होकर यमन से गुजर रहे हैं. अब अमेरिका ने इसका जवाब देते हुए पिछले दो दिनों में ब्रिटेन के साथ मिलकर यमन में हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों को तबाह किया है, जिसके बाद हूतियों ने फिर से हमले की धमकी दी है.
इस घटना ने लाल सागर में तनाव (Red Sea War) की स्थिति पैदा कर दी है. हमले की बढ़ती आशंकाओं को देखते हुए कंपनियां निर्यात शिपमेंट (Companies Export Shipment) रोक रही हैं. अमेरिका ने भी जहाजों को लाल सागर से दूर रहने के लिए अलर्ट किया है. इस हमले का असर डायरेक्ट भारत पर नहीं हुआ है. लेकिन ग्लोबल परेशानियों को देखते हुए भारत के निर्यात और आयात कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है.
दुनियाभर में बढ़ जाएगी महंगाई भारत समेत कई देश इस रास्ते से कच्चे तेल से लेकर कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट, खाने-पीने और अन्य चीजों का आयात-निर्यात करते हैं. अगर कोई नए रास्ते से निर्यात करना पड़ा या शिपमेंट रोकी जाती है तो भारत समेत पूरी दुनिया में महंगाई (Global Inflation) और बढ़ जाएगी. आइए जानते हैं लाल सागर तनाव के कारण भारत के व्यापार (India Trade) पर कितना असर होगा.
भारत के निर्यात में 30 अरब डॉलर की गिरावट की आशंका नई दिल्ली के थिंक टैंक रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज ने एक मूल्यांकन पेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लाल सागर भारत के लिए सबसे भरोसेमंद रास्ता है और यहां से निर्यात-आयात का खर्च अन्य रास्तों की तुलना में सस्ता है. ऐसे में लाल सागर में तनाव (Red Sea War) पैदा होने से यहां से गुजरने वाली जहाजों में 44 फीसदी की कमी आ सकती है. वहीं भारत के पिछले साल निर्यात 451 अरब डॉलर की तुलना में इस साल 6 से 7 फीसदी की गिरावट आ सकती है. इसका मतलब है कि भारत का निर्यात (India Export) 30 अरब डॉलर तक घट सकता है.
परिवहन लागत में तीन गुना इजाफा लाल सागर में हमले (Red Sea War) ने ग्लोबल ट्रेड को खतरे में डाल दिया है. शिपिंग कंपनियां व्यापार के लिए नया रास्ता तलाश रही हैं. भारत की कंपनियां भी नए रास्ते से कारोबार करने पर विचार कर रही हैं. समुद्र में इन घटनाओं के सामने आने के बाद कार्गो कंपनियों के यूरोप जाने वाले कंटेनर स्वेज नहर (Swej Nahar) की बजाय केप ऑफ गुड होप मार्ग ले रहे हैं. एक कंपनी के सीईओ ने ANI को बताया कि रास्ता बदलने के कारण शिपिंग लागत तीन गुना तक बढ़ गई है.
कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas war) के बाद अब लाल सागर में हमले का असर कच्चे तेल के दामों पर पड़ता हुआ दिख रहा है. ग्लोबल मार्केट में ब्रेट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 1.18% बढ़कर 78.32 डॉलर प्रति बैरल हो चुका है. एक हफ्ते के दौरान कारोबार में यह 80 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर भी जा चुका है. भारत भी इसी रास्ते कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में अब अगर कंपनियां नए रास्ते से या कच्चा तेल की सप्लाई रोकती हैं तो क्रूड ऑयल और महंगा हो सकता है. जिस कारण आने वाले समय में देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं.
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