'भारत की फ़िल्म इंडस्ट्री भी चीन की इंडस्ट्री जैसी हो गई', एफसीएटी ख़त्म करने पर बोले फ़िल्मकार
BBC
सेंसर बोर्ड के फ़ैसलों को चुनौती देना हो तो फ़िल्मकारों के सामने अब केवल हाईकोर्ट जाने का रास्ता बचेगा. कई फ़िल्मकार सरकार के नए फ़ैसले से नाखुश हैं.
फ़िल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) को समाप्त करने के सरकार के निर्णय से फ़िल्म इंडस्ट्री के कई निर्माता, निर्देशक और लेखक बेहद नाराज़ हैं. उनका मानना है ऐसा करना उनकी रचनात्मकता को समाप्त करना है. फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक अपनी फ़िल्मों में केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड की कांट-छांट या उन दृश्यों को हटाने की मांग के विरोध में अब तक क़ानून द्वारा स्थापित एफसीएटी का दरवाज़ा खटखटा सकते थे लेकिन इसे समाप्त करने के निर्णय के बाद ऐसा करना मुमकिन नहीं हो पाएगा. फ़िल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) की शुरुआत 1952 में हुई थी. दरअसल क़ानून मंत्रालय ने निर्माताओं-निर्देशकों की अपील सुनने के लिए गठित इस सांविधिक निकाय फ़िल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. अब केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड से नाख़ुश निर्माता-निर्देशकों को हाईकोर्ट का रुख़ करना होगा.More Related News