
भारत की अर्थव्यवस्था में 'सुधार' के नायक मनमोहन सिंह या नरसिम्हा राव?
BBC
24 जुलाई, 1991 को चूँकि बजट पेश होना था, किसी सांसद का ध्यान असली सुधार की ओर नहीं गया जिसने नेहरू और इंदिरा गाँधी की औद्योगिक नीति को सिरे से पलट दिया था.
बात वर्ष 2015 की है. मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रहे संजय बारू हैदराबाद मैनेजमेंट असोसिएशन की बैठक को संबोधित कर रहे थे. अचानक उन्होंने वहाँ मौजूद लोगों से सवाल पूछा, "वर्ष 1991 का आप लोगों के लिए क्या मतलब है?" लोगों ने तुरंत जवाब दिया इसी साल सरकार ने नई आर्थिक नीति लागू करके भारतीय अर्थव्यवस्था को खोल दिया था. बारू ने दूसरा सवाल किया, इसका ज़िम्मेदार कौन था? लोगों ने फिर बिना झिझक जवाब दिया "मनमोहन सिंह." बारू बोले, "ये सही है कि 24 जुलाई, 1991 को अपना बजट भाषण देने के बाद मनमोहन सिंह नई आर्थिक नीतियों और उदारीकरण का चेहरा बन गए थे. लेकिन उस दिन एक और ऐतिहासिक चीज़ हुई थी. इसका अता-पता है आपको?" कुछ ने जवाब दिया 'डीलाइसेंसिंग', यह सही था कि नई औद्यौगिक नीति मनमोहन सिंह के बजट भाषण का हिस्सा नहीं थीं. उनके भाषण से चार घंटे पूर्व उद्योग राज्य मंत्री पीजी कुरियन ने कुख्यात लाइसेंस परमिट राज को ख़त्म करने का वक्तव्य संसद के पटल पर रखा था. बारू का अगला सवाल था, "क्या आप भारत की औद्योगिक नीति में आमूल-चूल परिवर्तन करने वाले उद्योग मंत्री का नाम बता सकते हैं?"More Related News