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भारतीय वैज्ञानिकों वाली एक अंतरर्राष्ट्रीय रिसर्च टीम ने आकाशगंगा में नए तारों का लगाया पता
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इस अध्ययन दल में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस’ (आईआईएससी) और ‘इडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी’(आईआईएसटी) के वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
बेंगलुरुः खगोलशास्त्रियों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने आकाशगंगा का एक नया गहन सर्वेक्षण किया, जिसमें ऐसे तारों के बारे में गहराई से पता चला है, जो अभी से पहले नहीं देखे गए थे. साथ ही इस बात का भी पता चला कि किस तरह से तारे बनते हैं और फिर खत्म हो जाते हैं. यह मुताला ‘एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स’ में कई पेपरों में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन दल में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस’ (आईआईएससी) और ‘इडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी’(आईआईएसटी) के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. ग्लोस्टार परियोजना के तहत हुआ अध्ययन सर्वे के लिए आंकड़ें दो बड़े ताकतवर रेडियो टेलिस्कोप के जरिए जुटाए गए थे. अमेरिका के ‘नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी’ में ‘कार्ल जी जांस्की वेरी लार्ज एरे’ (वीएलए), और ग्लोस्टार के हिस्से के रूप में ‘मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी’ जर्मनी के जरिए संचालित ‘एफेल्सबर्ग 100-मीटर रेडियो टेलीस्कोप का इसमें इस्तेमाल किया गया.’ बेंगलुरु के आईआईएससी ने जुमे को एक बयान में कहा कि भौतिक विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर निरुपम रॉय और आईआईएससी से उनके पूर्व स्नातक छात्र रोहित डोकारा, साथ ही आईआईएसटी में पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर जगदीप डी पांडियन उन भारतीय वैज्ञानिकों में शामिल हैं जो ग्लोस्टार परियोजना का हिस्सा हैं.
जासूसी की दुनिया में डबल एजेंट वो स्पाई होता है, जो एक देश या संगठन के लिए काम करते हुए गुप्त रूप से उसके दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी के लिए भी जासूसी करता है. डबल एजेंट एक पक्ष को भरोसा दिलाते हैं कि वह उनके लिए काम कर रहे हैं, लेकिन असल में वह दूसरे पक्ष को उनकी जानकारी और रणनीतियां पहुंचाते हैं. ऐसा ही एक डबल एजेंट भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ में भी था.
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भारत और अमेरिका ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर आधुनिक समुद्री ड्रोन, ग्लाइडर और निगरानी सिस्टम बनाने का निर्णय लिया है. इस पहल के तहत ऐसे स्वायत्त हथियार बनाए जाएंगे, जो समुद्र में लंबे समय तक काम कर सकें और जहाजों की गतिविधियों पर नजर रख सकें. इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी नेतृत्व के बीच बैठक के दौरान की गई थी.
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भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुए रक्षा समझौते से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जिससे संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा.
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विश्व परिक्रमा पर निकली भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारियों का सामना समुद्र में लगातार बारिश, 75 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल रही तेज हवाओं और 5 मीटर से अधिक ऊंची समुद्री लहरों से हुआ. इन सभी बाधाओं को पार करते हुए भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. ने दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे पर स्थित केप हॉर्न को सफलतापूर्वक पार कर लिया है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद ऐलान किया कि भारत व्यापार घाटे को कम करने के लिए एफ-35 फाइटर जेट समेत अन्य सैन्य हार्डवेयर खरीदेगा. हालांकि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने साफ किया कि अभी एफ-35 खरीदने का प्रस्ताव मिला है. इस पर औपचारिक तरीके से प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.