![भारतीय वायुसेना सिर्फ 'सपोर्टिंग आर्म' नहीं, देखिए इजरायल और अमेरिका के उदाहरण](https://images.thequint.com/quint-hindi%2F2021-07%2F9bed07f2-532c-451b-a81a-58b739c96345%2FUntitled_design__65_.jpg?w=1200&auto=format%2Ccompress&ogImage=true)
भारतीय वायुसेना सिर्फ 'सपोर्टिंग आर्म' नहीं, देखिए इजरायल और अमेरिका के उदाहरण
The Quint
IAF bipin rawat:भारतीय वायु सेना जैसी एक सक्षम,अनुभवी और पेशेवर वायु सेना में अकेले ही युद्ध के रुख को मोड़ने की क्षमता Indian Air Force has the ability to single-handedly turn the tide of war
2 जून को एक टेलीविजन इंटरव्यू में भारतीय वायु सेना (IAF) के द्वारा थिएटर कमांड में अपने सीमित एसेट के पुनर्वितरण से इंकार के सवाल पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने कहा "...IAF एक सपोर्टिंग आर्म बनी हुई है, उसी तरह जैसे की आर्मी की सहायता आर्टिलरी (तोप) या इंजीनियर्स करते हैं"हकीकत यह है कि तोपें भी अब केवल सपोर्टिंग आर्म नहीं हैं ,कम से कम उन्नत सेनाओं में. कंबटेंट आर्म (सेना) द्वारा हमले से पहले तोपों से लंबी बमबारी के दिन खत्म हो गए हैं क्योंकि सटीक और स्वचालित हथियारों के साथ तोपें अब हताहतों की संख्या और भौतिक क्षति को बढ़ा सकती हैं.यह जंग में निर्णायक हो सकता है. एक सक्षम, अनुभवी, पेशेवर वायु सेना जैसी कि भारतीय वायु सेना(IAF), लगभग एक स्टैंडअलोन, रणनीतिक शक्ति हो सकती है, जिसमें अकेले ही युद्ध के रूख को मोड़ने की क्षमता है.थिएटर कमांड में भारतीय वायु सेना को मात्र सपोर्टिंग आर्म के रूप में शामिल करना और इसे ग्राउंड फोर्स को एयर सपोर्ट प्रदान करने के लिए कहना या एक एयर डिफेंस कमांड का हिस्सा बनाने के लिए कहना दरअसल इस कीमती संपत्ति को टुकड़े-टुकड़े करना है.ADVERTISEMENTजीत का मंत्र: 'युद्ध के इंजन' पर हमलालगभग 75 साल पहले ही वायु सेना मात्र 'सपोर्टिंग आर्म' की भूमिका से बाहर आ गयी थी.कार्ल वॉन क्लॉजविट्ज़ ने प्रसिद्ध रूप से रेखांकित किया था कि युद्ध जीतने का मूल मंत्र है- दुश्मनों के युद्ध लड़ने की क्षमता पर बीचोबीच हमला करना. द्वितीय विश्व युद्ध तक युद्ध का केंद्र सिर्फ युद्ध के मैदान पर सेनाओं का विनाश नहीं था बल्कि वो कारखाने और श्रमिक भी थे जो 'युद्ध के इंजन' का उत्पादन कर रहे थे.द्वितीय विश्व युद्ध इसलिए समाप्त नहीं हुआ था क्योंकि जर्मनी और जापान के पास युद्ध के मैदान के लिए मैनपावर खत्म हो गया, बल्कि इसलिए हुआ क्योंकि जर्मनी और जापान के औद्योगिक क्षेत्र को पंगु बनाने के लिए मित्र देशों ने बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए. इससे जर्मनी और जापान की युद्ध जारी रखने की क्षमता समाप्त हो गई.ADVERTISEMENTइजराइल की 'फॉलो-ऑन-फोर्स-अटैक' ने NATO के 'एयर लैंड बैटल स्ट्रेटजी' का आधार तय कियावायु सेना का उपयोग किस लिए किया जाना चाहिए? इस पर सबसे बड़ी सीखों में से एक है -1973 में हुई Yom Kippur युद्ध के दौरान नॉर्दन गोलन की ...More Related News