
भारतीय क्रिकेट टीम के ‘घुटने के बल खड़े होने’ में असल में कितना प्रतिरोध छिपा है
The Wire
भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र मुस्लिम खिलाड़ी के समर्थन में साथी खिलाड़ियों के वक्तव्यों की एक सीमा थी, वे उन्हें इस प्रसंग को भूल जाने और अगले मैच में अपनी कला का जौहर दिखाने के लिए ललकार रहे थे, पर किसी ने भी इस पर मुंह नहीं खोला कि पूरे मुल्क में एक समुदाय के ख़िलाफ़ किस तरह ज़हर फैलाया जा रहा है, जिसके निशाने पर अब कोई भी आ सकता है.
भारत की क्रिकेट टीम, उसका व्यवहार और उसके तमाम करतब- जो पहले भी विभिन्न कारणों से गलत कारणों से सुर्खियां बटोरते आए हैं- रफ़्ता-रफ़्ता अब शेष दुनिया में भी हंसी, पाखंड और वितृष्णा का सबब बनते जा रहे हैं.
दुबई के मैदान में टी-20 विश्व कप के लिए पाकिस्तान के साथ चले मैच की शुरुआत में उन्होंने दिखाया करतब हो या मैच की समाप्ति के बाद उन्होंने ओढ़ी चुप्पी हो, उससे यह बात अब अधिक खुलकर सामने आ गई है.
मैच की शुरुआत में भारतीय क्रिकेटरों द्वारा खेल जगत में प्रतिरोध का प्रतीक बने ‘टेकिंग द नी’ अर्थात खेल के मैदान पर घुटने पर बैठने’ का – जो कथित तौर पर उन्होंने ब्लैक लाइव्स मैटर के समर्थन में उठाया था- उपक्रम किया गया था.
याद रहे कि पिछले साल अमेरिका के मिनियापोलिस में 25 मई जार्ज फ्लॉयड नामक अश्वेत शख़्स की श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों हत्या के बाद पूरे अमेरिका में ही नहीं बल्कि पश्चिमी जगत में अश्वेत अधिकारों के समर्थन में जब एक व्यापक आंदोलन खड़ा हुआ था, जिस दौरान प्रतिरोध का यह प्रतीक दुनिया के कोने-कोने में पहुंचा था.