
बड़े सरकारी दावों के बीच मोदी राज में बना एक भी एम्स पूरी तरह काम नहीं कर रहा है
The Wire
बीते 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में दावा किया कि उनके शासनकाल में एम्स जैसी संस्थाओं की संख्या पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ी है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार, 2014 में उनकी सरकार आने के बाद से विभिन्न राज्यों में शुरू हुए एम्स में से एक भी पूरी तरह काम नहीं कर रहा है.
नई दिल्ली: बीते 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के मांड्या जिले में दावा किया कि उनकी सरकार में एम्स जैसी संस्थाओं की संख्या पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ी है. इसके अगले दिन देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने एक ट्वीट में ‘मोदी का ज़माना’ दिखाते हुए लिखा कि देश में एम्स की संख्या सात से 22 हो गई है.
एम्स जैसे और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के बारे में 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बात शुरू हो गई थी, हालांकि आज तक इनमें से एक भी एम्स पूरी तरह ‘फंक्शनल’ नहीं है यानी यहां पूरी तरह से काम शुरू नहीं हुआ है. यह जानकारी मौजूदा बजट सत्र में खुद स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में दी है.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 2014 के बाद से एम्स जैसे कम से कम 16 संस्थानों की परिकल्पना की गई थी. मंडाविया द्वारा 3 फरवरी, 2023 को लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, 16 एम्स जैसे संस्थान ‘ऑपरेशनलाइजेशन (काम करने) के विभिन्न चरणों’ में हैं और केवल सीमित आउट-पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) और इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) सेवाएं ही उपलब्ध हैं.
इन 16 एम्स जैसे संस्थानों में से कुछ की घोषणा 2014 में ही की गई थी, उदाहरण के लिए, एम्स गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), एम्स मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश), एम्स नागपुर (महाराष्ट्र) और एम्स कल्याणी (पश्चिम बंगाल). फिर भी, ये सभी संस्थान केवल सीमित ओपीडी और आईपीडी सेवाएं दे रहे हैं और ‘पूरी तरह काम करने वाली’ सूची में शामिल नहीं हैं.