ब्रितानी सेना के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ देने पर क्या होगा उनके ख़ास सहयोगियों का
BBC
अमेरिका की तरह ब्रिटेन की सेना भी इस साल 11 सितंबर तक अफ़ग़ानिस्तान छोड़ देगी. लेकिन उनके इस फ़ैसले से उनके ख़ास सहयोगियों की जान पर बन आई है.
काबुल में रह रहे एजे को महीनों से अपना घर छोड़ते वक़्त डर लगता है. उन्हें डर है कि तालिबान उन्हें और उनके परिवार को मार डालेगा. 30 से थोड़ी ज़्यादा उम्र के एजे उन सैकड़ों अफ़ग़ानों में से एक हैं, जिन्होंने अनुवादक और सहायक कर्मचारी के रूप में ब्रितानी सेना के साथ काम किया है. इस चलते वे चरमपंथियों के निशाने पर हो सकते हैं. उन्हें डर है कि यह ख़तरा तब और बढ़ जाएगा, जब इस साल विदेशी सुरक्षाबल देश से बाहर चले जाएंगे. हमले के डर से अपनी असली पहचान छिपाने वाले एजे की मुश्किलें और भी हैं. उन्हें अनुवादकों की मदद करने वाली ब्रिटेन की सरकारी योजनाओं के तहत पुनर्वास के लिए कई बार मना कर दिया गया. इन योजनाओं का लाभ पाने वालों को सपरिवार ब्रिटेन में शरण दी जाती है. ब्रिटिश अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अपने घर में धूम्रपान करने के लिए निकाला गया था. और नियम के अनुसार, जो अनुवादक अपने काम से निकाल दिए गए हों, वे पुनर्वास के योग्य नहीं हैं. एजे के मुताबिक़, जब उन्होंने सेना के साथ काम करना बंद किया था, तब उन्हें नहीं बताया गया था कि वे अपने काम से निकाले जा रहे हैं. इसलिए उन्हें ब्रिटेन न जाने देना सही नहीं है.More Related News