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ब्रिटेन में भारतीय छात्रों की सफलता का ‘मॉडल’ आदर्श के रूप में अपनाने योग्य : रिपोर्ट
NDTV India
रिपोर्ट के अनुसार, “यह असाधारण प्रदर्शन एक प्रकार से ‘प्रवासी सकारात्मकता’ के कारण भी होता है जिसमें हाल ही में आए प्रवासी खुद को शिक्षा के प्रति अधिक समर्पित कर देते हैं क्योंकि अपने देश में उन्होंने गरीबी झेली होती है और वे शिक्षा को इससे निकलने का तरीका मानते हैं. इसका अर्थ यह है कि ऐसे कारण हैं जो लोगों को उनकी सामाजिक आर्थिक हालत से उबारने और सफल होने में मदद कर सकते हैं.” रिपोर्ट में शिक्षा विभाग को सुझाव दिया गया है कि उन्हें यह समझने के लिए “सार्थक और बड़े स्तर पर अनुसंधान करना चाहिए” कि ब्रिटिश भारतीय जैसे समुदायों के छात्र अधिक सफल कैसे होते हैं.
ब्रिटेन में भारतीय छात्र शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिसके फलस्वरूप उन्हें अधिक औसत वेतन मिलता है और इस ‘मॉडल' को अन्य समुदायों के लोगों को भी आदर्श के रूप में अपनाना चाहिए. देश में नस्ली असमानताओं पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा गठित एक आयोग की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है. ‘नस्लीय असमानता आयोग' द्वारा बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन में वर्ग आधारित अंतर नस्ली असमानता को पार कर चुका है और देश अब पहले से बेहतर स्थिति में है, हालांकि खुल कर किया जाने वाला नस्ली भेदभाव विशेष रूप से इंटरनेट पर, एक वास्तविकता है. आयोग की ओर से दिए गए सुझावों में से एक यह है कि ‘ब्लैक' (अश्वेत), ‘एशियन' (एशियाई) और ‘माइनॉरिटी एथनिक' (अल्पसंख्यक समुदाय) के लोगों को संबोधित करने के लिए ‘बीएएमई' संक्षिप्त रूप का इस्तेमाल न किया जाए. आयोग ने कहा कि इसकी बजाय ‘ब्रिटिश इंडियन' जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाए.More Related News