'बोस नहीं होने देते भारत का बंटवारा' अजीत डोभाल के बयान पर कांग्रेस बोली- पहले पढ़ लें इतिहास
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल में पहली स्पीच दी. एनएसए ने यह भी कहा कि नेताजी ने अपने जीवन में कई बार साहस दिखाया और उनके अंदर महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस भी था.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के महान प्रयासों पर कोई शक नहीं कर सकता, महात्मा गांधी भी उनेक प्रशंसक थे, लेकिन लोग अक्सर आपके परिणामों के माध्यम से आपको आंकते हैं. तो क्या सुभाष चंद्र बोस का पूरा प्रयास व्यर्थ गया. एनएसए ने कहा, 'इतिहास बोस के प्रति निर्दयी रहा है, मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे फिर से जीवित करने के इच्छुक हैं.'
अजीत डोभाल, शनिवार को दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल में पहली स्पीच दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने देश के विभाजन और नेताजी के व्यक्तित्व को लेकर कई जरूरी बातें कही हैं. डोभाल ने कहा कि अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीवित होते तो भारत का बंटवारा नहीं होता.
उन्होंने अपने भाषण में नेताजी सुभाष बोस के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके मन में यह विचार आया कि मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा, मैं आजादी की भीख नहीं मांगूंगा. यह मेरा अधिकार है और मुझे इसे प्राप्त करना ही होगा. उन्होंने कहा कि 'सुभाष बोस होते तो भारत का विभाजन नहीं होता. जिन्ना ने भी कहा था कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष चंद्र बोस हैं.'
नेताजी ने कहा कि 'मैं पूर्ण स्वतंत्रता और आजादी से कम पर किसी चीज के लिए समझौता नहीं करूंगा. उन्होंने कहा कि वह न केवल इस देश को राजनीतिक पराधीनता से मुक्त करना चाहते हैं, बल्कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है और उन्हें आकाश में स्वतंत्र पक्षियों की तरह महसूस करना चाहिए.'
'महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस केवल नेताजी में था' एनएसए ने यह भी कहा कि नेताजी ने अपने जीवन में कई बार साहस दिखाया और उनके अंदर महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस भी था. डोभाल ने कहा, तब महात्मा गांधी अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर थे. फिर बोस ने कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्होंने कहा कि मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास के ऐसे लोगों में बहुत कम समानताएं हैं, जिनमें धारा के खिलाफ बहने का साहस था और ऐसा करना आसान नहीं था.
जापान ने नेताजी का समर्थन किया डोभाल ने कहा, नेताजी अकेले थे, जापान के अलावा उनका समर्थन करने वाला कोई देश नहीं था. एनएसए ने कहा, नेताजी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी चीज के लिए समझौता नहीं करूंगा. वह न केवल इस देश को राजनीतिक पराधीनता से मुक्त कराना चाहते हैं, बल्कि उन्होंने कहा था कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है और उन्हें आकाश में स्वतंत्र पक्षियों की तरह महसूस करना चाहिए."
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