बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा -दूसरी शादी का मतलब तलाकशुदा पहली पत्नी के खिलाफ घरेलू हिंसा नहीं
ABP News
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक केस में कहा कि पति का दूसरा विवाह करना तलाकशुदा पत्नी के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस नहीं है. कोर्ट ने कहा कि डीवी एक्ट में घरेलू हिंसा विस्तृत तरीके से परिभाषित है.
नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने माना है कि पति का दूसरा विवाह करना तलाकशुदा पत्नी के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस नहीं हो सकता. जस्टिस मनीष पिताले ने कहा, "केवल इसलिए कि पति दूसरी शादी करता है, यह प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस (डीवी) एक्ट, 2005 की परिभाषा के तहत नहीं आ सकता है." जलगांव के रहने वाले पति, उसके माता-पिता और बहन की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि पहली पत्नी यह दावा कर सकती थी कि उसके और पति के बीच एक समय पर घरेलू संबंध थे. न्यायाधीश ने कहा, "लेकिन तलाक की कार्यवाही को अंतिम रूप देने और उसके खिलाफ निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद उक्त तथ्य अपने आप में डीवी एक्ट के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा."More Related News