
बैंक निजीकरण और क्रिप्टो विनियमन विधेयक के संसद में पेश न होने की क्या वजह है
The Wire
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी विनियमन और बैंक निजीकरण पर प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को इसलिए भी स्थगित कर दिया है कि बाज़ार परिदृश्य को क़ानून लाने के लिए अनुकूल नहीं देखा जा रहा है. इसके अलावा कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभाव और ओमीक्रॉन स्वरूप के बढ़ते ख़तरे भी महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्होंने वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को स्थगित करने के सरकार के निर्णय को प्रभावित किया है.
संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को अपने निर्धारित समापन से एक दिन पहले समाप्त हो गया. वित्तीय क्षेत्र के तीन प्रमुख विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने थे.
इनमें से एक ‘सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने’ से संबंधित है, दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सुविधा के लिए बैंकिंग कानूनों में संशोधन और तीसरा पेंशन कानूनों को संशोधित करने के लिए है. तीनों विधेयकों के साथ-साथ बिजली वितरण व्यवसाय में सुधारों से संबंधित विधेयक को टाल दिया गया है.
सरकार निजी क्रिप्टोकरेंसी, जो अभी तक भारत में अनियमित है, पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक पर अधिक समय लेती दिख रही है
आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करने का लक्ष्य रखता है. विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी की अंतर्निहित तकनीक और निजी क्षेत्र में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों की अनुमति देने की संभावना है.