बेंगलुरु IT हब, 11000 स्टार्टअप, GDP में 25% हिस्सेदारी हट जाए तो? लोकल कोटा से क्यों पीछे हटी कर्नाटक सरकार
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को X पर पोस्ट करते हुए कहा, ' कैबिनेट की बैठक में राज्य के सभी प्राइवेट सेक्टर में "C और D" ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी गई है.' बाद में फैसले की आलोचना हुई तो सरकार ने कदम खींच लिए.
कर्नाटक सरकार ने बुधवार को उस विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया जिसमें निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य किया गया था. कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक, 2024 को सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी. इस विधेयक की उद्योग जगत और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की नामचीन हस्तियों ने आलोचना की थी.
शाम को सरकार फैसले से पीछे हट गई और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि विधेयक अभी भी "तैयारी" के चरण में है और सरकार अगली कैबिनेट बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद इस पर निर्णय लेगी. कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा, "उद्योग जगत के मालिकों को घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार नौकरियों के और सृजन तथा कन्नड़ लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है.
क्या था फैसला जिसे लेकर हुआ था बवाल दरअसल कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को X पर पोस्ट करते हुए कहा, 'कल कैबिनेट की बैठक में राज्य के सभी प्राइवेट सेक्टर में "C और D" ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी गई है.' हालांकि सीएम ने इस पोस्ट को बाद में डिलीट कर दिया.
विधेयक में कहा गया था, ‘किसी भी उद्योग, कारखाने या अन्य प्रतिष्ठानों को प्रबंधन श्रेणियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन श्रेणियों में 70 प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों की नियुक्ति करनी होगी.’
क्यों पीछे हटी सरकार जैसे ही यह खबर सामने आई तो उद्योग जगत निराश हो गया और तुरंत प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है. उद्योग जगत के दिग्गजों ने इस विधेयक को एक “अदूरदर्शी”, “फासीवादी” कदम बताते हुए कहा कि यह फैसला कर्नाटक की निवेशक-अनुकूल राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, जहां बड़ी संख्या में तकनीकी कंपनियां, हजारों स्टार्टअप और कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) हैं. उद्योग निकाय नैसकॉम ने चेतावनी दी कि यह फैसला कंपनियों को पलायन करने के लिए मजबूर कर सकता है.
कर्नाटक सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध शुरू हो गया था. शीर्ष कंपनियों के सीईओ और उद्योग जगत के दिग्गजों द्वारा कर्नाटक सरकार को चेतावनी दिए जाने के बाद सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए. दिग्गजों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में नौकरी में आरक्षण पर प्रस्तावित कानून की वजह से कंपनियां राज्य से बाहर जा सकती हैं और इससे राज्य की प्रगति बाधित हो सकती है. जैसे ही सरकार को यह आभास हुआ था उसने बुधवार को बयान जारी करते हुए कहा कि विधेयक को रोक दिया गया है और मंत्रिमंडल अगली बैठक में इस पर व्यापक चर्चा की जाएगी.
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