बुर्के में भी महिलाओं का दफ्तर आना तालिबान को मंजूर नहीं, कमांडर बोला- दुनिया कुछ भी कहे...
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अफगानिस्तान में महिलाओं के सामने अब दफ्तर में काम करने, यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने का संकट पैदा हो गया है. अपने वादे से उलट तालिबान ने महिलाओं के दफ्तर में काम करने से रोक लगा दी है, तालिबान का कहना है कि वह शरिया कानून के हिसाब से ही चलेंगे.
अफगानिस्तान में सरकार बनाने से पहले तालिबान जो बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था, अब सरकार बनने के बाद उनसे मुकरता हुआ नज़र आ रहा है. तालिबान ने साफ कर दियि है कि महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने नहीं दिया जाएगा, मुल्क में पूरी तरह से शरिया कानून लागू किया जाएगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से तालिबान के सीनियर कमांडर वहीदुल्लाह हाशिमी ने ये बात कही है. हाशिमी के मुताबिक, भले ही दुनिया की ओर से महिलाओं को काम करने की आजादी देने का दबाव बनाया जाए, लेकिन अफगानिस्तान में सिर्फ शरिया कानून के हिसाब से ही काम होगा. जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया था, तब उसने दावा किया था कि महिलाओं को शरिया कानून के तहत काम करने की इजाजत दी जाएगी. लेकिन अब एक महीने बाद तालिबान पूरी तरह से पलट गया है. ‘शरिया कानून वापस लाने के लिए लड़ी जंग’ हाशिमी ने कहा कि हमने 40 साल सिर्फ इसलिए जंग लड़ी है कि हम अफगानिस्तान में शरिया कानून वापस लाएं. शरिया कानून महिलाओं और पुरुषों को साथ में बैठने, काम करने की इजाजत नहीं देता है. ये साफ है कि महिलाएं पुरुषों के साथ काम नहीं कर सकती हैं, ना ही उन्हें हमारे दफ्तर-मंत्रालयों में आने की इजाजत है.पाकिस्तान में पूर्व पीएम इमरान खान की अपील पर उनके समर्थकों ने सड़कों पर हंगामा मचा रखा है. हिंसा में 6 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो चुकी. इस बीच सरकार ने इस्लामाबाद में सेना को शूट-एट-साइट के आदेश दे दिए. लेकिन पूर्व पीएम तो जेल में हैं, फिर कैसे वे राजनैतिक उठापटक की वजह बन रहे हैं? क्यों पाकिस्तानी पॉलिटिक्स में ये नई तस्वीर नहीं?
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पाकिस्तान में गृह युद्ध की रणभूमि में इस वक्त भयानक जंग चल रही है. नौबत ये आ चुकी है कि पाकिस्तान की सेना को उतरना पड़ा है. पाकिस्तान की राजधानी इस वक्त जंग का मैदान बनी हुई है. एक तरफ इमरान खान के समर्थक हैं तो दूसरी तरफ आसिम मुनीर की सेना. लड़ाई जोरों की चल रही है. इमरान समर्थक कंटेनर हटाकर इस्लामाबाद में दाखिल हो चुके हैं और इस वक्त बेकाबू हैं.
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