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बीते तीन सालों में अकाली दल समेत तीन प्रमुख सहयोगियों ने छोड़ा भाजपा का साथ
The Wire
लगातार दूसरी बार 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों, शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था. राजग से जद(यू) के बाहर होने के बाद भाजपा के लिए देश का पूर्वी हिस्सा खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है. खासकर, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बिहार.
नई दिल्ली: वर्ष 2019 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंध तोड़ने वाला जनता दल (यूनाइटेड) उसका तीसरा प्रमुख राजनीतिक सहयोगी है.
लगातार दूसरी बार 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों, शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था. शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र के निरस्त किए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए छोड़ा था.
अगले लोकसभा चुनाव में दो साल से कम समय बचा है और अब जद (यू) ने उससे गठबंधन तोड़ लिया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने वाला जद (यू) सांसदों और विधायकों के मामले में भाजपा के सहयोगियों में सबसे बड़ा दल है.
जद (यू) के जार्ज फर्नांडिस कभी राजग के संयोजक हुआ करते थे, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2013 में भी भाजपा से उस वक्त नाता तोड़ लिया था, जब नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था.