
बीजेपी विधायक से पुरानी अदावत, AK-47 कांड... यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी की पूरी कहानी
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साल 1996 में दर्ज गैंगस्टर मामले में आज 26 साल बाद कोर्ट ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया और फिर सजा का ऐलान कर दिया. उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कुल 5 मामले थे, इसमें दो गाजीपुर, दो वाराणसी और एक चंदौली में दर्ज थे.
यूपी बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुना दी. अंसारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था. 1996 में दर्ज गैंगस्टर मामले में आज 26 साल बाद कोर्ट ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया और फिर सजा का ऐलान कर दिया. उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कुल 5 मामले थे, इसमें दो गाजीपुर, दो वाराणसी और एक चंदौली में मामला दर्ज था. इस मामले में 12 दिसंबर को 11 गवाहों की गवाही, जिरह और बहस पूरी हो चुकी थी. इसके बाद फैसला सुनाने की तारीख 15 दिसंबर तय की गई थी.
पंजाब की जेल से यूपी लाया गया था मुख्तार एक मामले की सुनवाई के चलते मुख्तार अंसारी को यूपी की बांदा जेल से पंजाब की रोपड़ जेल भेज दिया गया था. वो काफी समय वहीं था. यूपी में सत्ता बीजेपी के हाथ आने के बाद मुख्तार यहां आना नहीं चाहता था. उसे यूपी लाए जाने के लिए दोनों राज्यों की सरकारों के बीच खींचतान चली. मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद उसे यूपी शिफ्ट करने का फरमान सुनाया. इसके बाद 7 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच बाहुबली मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ से हरियाणा के रास्ते आगरा, इटावा और औरैया होते हुए बांदा जेल पहुंचा दिया गया.
पूर्वांचल में रहा दबदबा मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था. और तभी से वो जेल में बंद हैं. पहले उन्हें गाजीपुर जेल में रखा गया. फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया. फिर मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया था. उसके बाद से आजतक मुख्तार को बाहर आना नसीब नहीं हुआ. फिर एक मामले में उसे पंजाब की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. लेकिन फिर भी पूर्वांचल में उनका दबदबा कायम रहा. वो जेल में रहकर भी चुनाव जीतता रहा.
कुछ लोगों के लिए थी रॉबिनहुड जैसी छवि ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्ज़ा है. जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की. मगर ये रॉबिनहुड अगर अमीरों से लूटता है, तो गरीबों में बांटता भी है. ऐसा मऊ के लोग कहते हैं कि सिर्फ दबंगई ही नहीं बल्कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में काफी काम किया है. सड़कों, पुलों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों पर ये रॉबिनहुड अपनी विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता है.
इलाके में बोलती थी तूती मुख्तार अंसारी के दादा स्वतंत्रता सेनानी थे और उसके फौज में नाना ब्रिगेडियर. तो फिर मुख्तार अंसारी माफिया कैसे बन गया. रौबदार मूंछों वाला ये विधायक आज भले ही व्हील चेयर के सहारे हो. लेकिन मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. अब अंसारी के कई ठिकानों को जमींदोज किया गया है. लेकिन कभी वक्त था जब पूरा सूबा मुख्तार के नाम से कांपता था. वो बीजेपी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा. मुख्तार अंसारी पिछले 24 साल से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा है.
परिवार का गौरवशाली इतिहास मुख्तार अंसारी भले ही संगठित अपराध का चेहरा बन चुका था. लेकिन गाजीपुर में उसके परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. सिर्फ डर की वजह से नहीं बल्कि काम की वजह से भी इलाके के गरीब गुरबों में मुख्तार अंसारी के परिवार का सम्मान है. मगर आप में से शायद कम लोगों को ही पता हो कि मऊ में अंसारी परिवार की इस इज़्ज़त की एक वजह और है और वो है इस खानदान का गौरवशाली इतिहास. खानदानी रसूख की जो तारीख इस घराने की है वैसी शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की हो. बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और वे गांधी जी के बेहद करीबी माने जाते थे. उनकी याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है.

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