
बीजेपी के घोषणापत्र से ग़ायब 'अफ़स्पा क़ानून' मणिपुर चुनाव में कितना बड़ा मुद्दा?
BBC
दो महीने पहले नगालैंड में सेना की कथित गोलीबारी में 13 नागरिकों की मौत के बाद मणिपुर में अफ़स्पा क़ानून को हटाने की मांग हुई थी. लेकिन क्या इस बार के विधानसभा चुनावों में ये बड़ा मुद्दा है?
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की कुल 60 विधानसभा सीटों के लिए 28 फ़रवरी और 5 मार्च को दो चरणों मतदान होने हैं.
सत्तारूढ़ बीजेपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसे शीर्ष नेता मणिपुर में चुनावी सभाएं कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई केंद्रीय नेताओं के मणिपुर में चुनाव प्रचार करने से यहां मुक़ाबला बेहद दिलचस्प बन गया है.
बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने वाले इस चुनावी मुक़ाबले में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), जनता दल (यूनाइटेड) और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के प्रदर्शन पर भी लोगों की नज़र टिकी हुई है. दरअसल राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पिछली बार की तरह इस बार का चुनाव भी त्रिशंकु सदन की ओर इशारा कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में नई सरकार गठन करने में इन छोटे क्षेत्रीय दलों की भूमिका काफ़ी अहम साबित होगी.
क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 28 सीटों के मुक़ाबले बीजेपी ने महज 21 सीटें जीती थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने एनपीपी (4 सीटें), एनपीएफ (4 सीटें), टीएमसी (1 सीट), लोक जनशक्ति पार्टी (1 सीट), तथा एक निर्दलीय विधायक के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. मणिपुर में बीजेपी ने पांच साल गठबंधन की सरकार चलाने के बाद इस बार भी राज्य के लोगों से कई बड़े वादे किए हैं.