
बिहार: सीएए-एनआरसी पर बाल सुधार गृह में हुई चर्चा तो दर्ज हुआ राजद्रोह का मुक़दमा
BBC
पटना के दानापुर में चल रहे एक बाल सुधार गृह से जुड़े लोगों पर इसलिए राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है क्योंकि उन्होंने सीएए-एनआरसी से जुड़ी परिचर्चा आयोजित की थी.
"मेरा नाम रानी है. मैं सुबह चार बजे उठकर पढ़ती हूं और अपने दोस्तों को भी पढ़ने के लिए बोलती हूं. एनआरसी के विरोध में हूं, क्योंकि हमारे पास घर ही नहीं है तो डॉक्यूमेंट कहां रखेंगे?" पटना के दानापुर में स्थित कैन्ट मध्य विद्यालय में चल रहे बाल सुधार गृह की दसवीं की छात्रा राधा (बदला हुआ नाम) ने तीन फ़रवरी 2019 को अपने सुधार गृह के रजिस्टर में एक प्रशिक्षण शिविर के दौरान ये बातें लिखी थीं. रजिस्टर में यह भी लिखा था, "एनआरसी और सीएए के कारण लंबे अरसे से रह रहे नागरिकों को अपने भारत में रहने को प्रामाणित करना पड़ेगा. इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव उन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ग़रीब लोगों पर पड़ रहा है, जिनकी झोपड़ी हर साल बाढ़ या किसी अन्य वजह से टूट जाती है. सरकार की तरफ़ से जो भी बिल पास होता है अगर वह यहां रहने वाले नागरिकों के हित में नहीं है तो हम सबको मिलकर उसका विरोध करना चाहिए और हमें ज़रूरी दस्तावेज़ों को संभालकर रखना चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह हमारे काम आ सकें." ये बातें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इतनी आपत्तिजनक लगीं कि आयोग की चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने पत्र लिखकर संस्था और उससे जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया और यहां दानापुर थाने में 23 मार्च को राजद्रोह की धारा 124 (A) के तहत मुक़दमा भी दर्ज कर लिया गया है. बिहार के मुख्य सचिव, डीजीपी और पटना के डीएम को भेजे गए इस पत्र में सवाल खड़ा किया गया है कि सुधार गृह में रहने वाले बच्चों के बीच इस प्रकार के प्रशिक्षण और ऐसी परिचर्चा की ही क्यों गई थी जबकि उनका इस मसले से किसी तरह का जुड़ाव ही नहीं था?More Related News