बिहार: लालू यादव के M-Y समीकरण से आगे बढ़े तेजस्वी, MLC चुनाव में चल गया नए फॉर्मूले का जादू
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बिहार विधान परिषद चुनाव में आरजेडी का सवर्ण समुदाय पर दांव खेलना सफल रहा. लालू यादव के मुस्लिम-यादव समीकरण का तेजस्वी यादव ने विस्तर करते हुए मुस्लिम-यादव-भूमिहार कंबिनेशन बनाया, जो एमएलसी चुनाव में हिट रहा. आरजेडी के जीते 6 कैंडिडेट में से 4 सवर्ण समुदाय के हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता भविष्य में चिंता बढ़ा सकती है.
आरजेडी प्रमुख लालू यादव बिहार में मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण के सहारे सियासत करते रहे हैं. वहीं, लालू यादव की सियासी विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव आरजेडी के M-Y तमगे से बाहर निकालकर A टू Z यानि सर्व समाज की पार्टी बनाने में जुटे हैं. तेजस्वी का एमएलसी चुनाव में आरजेडी के आधार वाटों का विस्तार कर जाति का नया फॉर्मूला बनाने का दांव सफल रहा. आरजेडी पहली बार M-Y समीकरण के आगे बढ़ते हुए मुस्लिम-यादव-भूमिहार कंबिनेशन बनाने का फार्मूला हिट रहा.
एमएलसी चुनाव में आरजेडी ने जिस तरह से टिकट बंटवारे में सवर्ण समुदाय पर दांव खेला है, उसमें सफलता मिली. राजद ने पहली बार 40 फीसदी सीटें सवर्ण समुदाय की जातियों के नेताओं को दी थी. 24 एमएलसी सीटों में 10 उम्मीदवार सवर्ण समाज के प्रत्याशी थी. इनमें 5 भूमिहार, 4 राजपूत और एक ब्राह्मण उम्मीदवार शामिल थे. आरजेडी के 5 भूमिहार कैंडिडेट में से तीन को जीत मिली है और चार राजपूत में से एक को जीता है. आरजेडी को मिली कुल सीटों का 50 फीसदी भूमिहार हैं तो 67 फीसदी सवर्ण हैं.
आरजेडी ने अपने पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोटरों पर भरोसा जताते हुए पहली बार भूमिहार पर इतना बड़ा सियासी दांव खेला था. आरजेडी ने M-Y समीकरण के तहत 8 यादव और दो मुस्लिम कैंडिडेट दिए थे, जिनमें से महज एक ही यादव जीत सका है जबकि मुस्लिम का खाता नहीं खुला. इस तरह से आरजेडी सवर्ण उम्मीदवारों के जरिए ही 2 एमएलसी सीटों से बढ़कर 6 पर पहुंच गई है. आरजेडी से जीते तीन भूमिहार और एक राजपूत उम्मीदवार बिहार में भविष्य का नई राजनीतिक समीकरण का संदेश दे रहे हैं.
चार कदम आगे बढ़ाने की जरूरत
एमएलसी चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने सवर्ण समाज से समर्थन मांगते हुए कहा था कि आरजेडी अब किसी खास जाति की पार्टी नहीं है बल्कि, हर जाति व धर्म को लेकर चल रही है. तेजस्वी ने सवर्ण समाज से समर्थन मांगते हुए कहा कि हमने तो हाथ बढ़ा दिया है, अब आप हमें अपना मानते हुए चार कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है. तेजस्वी का यह दांव सफल रहा और बीजेपी जेडीयू दोनों ही दलों का झटका लगा है. आरजेडी के इसी फॉर्मूले के चलते बीजेपी की पांच तो जेडीयू की चार एमएलसी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है.
बता दें कि तेजस्वी यादव अब आरजेडी के उस ढांचे से पार्टी को बाहर निकालने के प्रयास में हैं जिसमें आरजेडी को पहले यादव और मुस्लिम की पार्टी कही जाती रही. बिहार की सियासत में नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के सियासी समीकरण ने आरजेडी के मुस्लिम-यादव कैंबिनेशन को सफल नहीं होने दिया है. इसीलिए आरजेडी की कमान तेजस्वी ने जब से संभाली है तब से आरजेडी को यादव-मुस्लिम टैग से बाहर निकालकर सर्वसमाज की पार्टी बनाने की कवायद की है.
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