बिहार में शराबबंदी लागू है, फिर ज़हरीली शराब से कैसे मारे जा रहे हैं लोग- ग्राउंड रिपोर्ट
BBC
बिहार में समय-समय पर ज़हरीली शराब से लोगों के मारे जाने की ख़बरें आती हैं. हाल ही में औरंगाबाद ज़िले में कई लोग इसका शिकार हुए. क्यों नहीं रुक रहा बिहार में ज़हरीली शराब से मौतों का सिलसिला?
"जैसे दो-तीन दिन पहले शराब पीकर लोग मरने लगे, तो उन्हें (बाबूजी को) मना भी किए, लेकिन वो माने नहीं. वो रोज़ शराब पी लेते थे. खिरियांवां बाजार से उनको बराबर शराब मिल जाती थी. शराबबंदी जैसी कोई बात ही नहीं है." - रमेश पासी
"मेरा कुछ नहीं है. मेरा छह साल का बेटा भी गुज़र गया. मेरा आदमी भी 16 साल पहले गुजर गया और अब जवान बेटा भी नहीं रहा. मेरा घर चलाने वाला कोई नहीं बचा. मेरे आगे-पीछे कोई नहीं है. जो शराब बंद हो जाती, तो मेरे साथ ऐसी घटना तो नहीं घटती, और सिर्फ़ मेरे साथ ही तो ऐसा नहीं हुआ है. बहुतों के साथ ऐसा हुआ है." - विभा कुँवर
रमेश पासी (30 साल) ने जहाँ अपने पिता (नन्हकू पासी- 55) वर्ष को अपनी आंखों के सामने मरते देखा है.
वहीं विभा कुँवर (45 साल) अपने बेटे (राहुल मिश्रा- 24) को तमाम कोशिशों के बावजूद बचा न सकीं.
ये ऐसे लोगों के परिजन हैं, जिन्होंने शराब पीने की वजह से अपने बेहद करीबियों को खोया है, बावजूद इसके कि बिहार में आधिकारिक तौर पर शराबबंदी लागू है.