
बिहार : नीतीश कुमार का दोबारा 'जनता दरबार' शुरू करने का क्या है मक़सद
BBC
पांच साल बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोबारा 'जनता दरबार' शुरू किया है जिसमें वो सीधे लोगों की समस्याएं सुनते हैं. इसको दोबारा शुरू करने की क्या वजहें हैं?
बिहार के वीवीआईपी इलाक़े के तौर पर शुमार किए जाने वाले अणे मार्ग और राज भवन के इर्द-गिर्द बीते रोज़ गहमागहमी कुछ अधिक ही दिखी. सुरक्षा व्यवस्था भी अपेक्षाकृत चाक-चौबंद थी. मौक़ा था साल 2016 तक चले 'जनता दरबार' के पाँच साल बाद फिर से शुरू किये जाने का. पाँच साल बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता से सीधे रूबरू होना और आम लोगों की समस्याओं के निपटारे हेतु संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को निर्देशित करना. इस कार्यक्रम को नाम दिया गया है 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री.' इसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नवादा से चलकर आई 17 वर्षीय ईशु कुमारी कहती हैं, "हम मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन राशि को लेकर यहां आए हैं. हम साल 2019 में मैट्रिक और साल 2021 में इंटर फ़र्स्ट डिविज़न से पास किए लेकिन प्रोत्साहन राशि नहीं मिली. ऑनलाइन अप्लाई भी किए लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चला. मोबाइल पर देखे कि जनता दरबार लग रहा है. अप्लाई कर दिए. बीडीओ का फ़ोन आया और फिर यहां तक आ गए. उम्मीद है कि हमको प्रोत्साहन राशि मिल जाएगी." जनता दरबार में ही अपनी गुहार लेकर पहुँचे सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'सात निश्चय' में शामिल 'स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना' के लाभार्थी 25 वर्षीय रजनीश कुमार विभूति कहते हैं, "साल 2016-2018 में सवा दो लाख का लोन लिए थे. बोला गया था कि जब तक जॉब नहीं लगेगी तब तक पैसा देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा. ब्याज दर भी सात प्रतिशत रहेगा लेकिन अब उसी पर दो प्रतिशत बढ़ाकर देना होगा और जुलाई तक भुगतान न करने की स्थिति में 500 रुपये की पेनाल्टी हर माह लगेगी."More Related News