बिहार का एक ऐसा गांव जहां सबसे अधिक नेपाल के लोग, इनके लिए साल का 2 महीना ही कामयाब, जानें पूरा मामला
ABP News
यह गांव सुपौल के त्रिवेणीगंज मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर ही है. गांव के चारों तरफ अन्य लोगों की जमीन है जिसपर रास्ते के लिए यहां के लोग 100 सालों से संघर्ष कर रहे हैं.
सुपौलः बिहार के सुपौल जिले में एक ऐसा छोटा सा गांव है जहां सबसे अधिक नेपाल के लोग रहते हैं. गांव छोटा है पर यहां की समस्याएं बड़ी हैं, जिसे कोई देखने-सुनने वाला नहीं है. इस गांव के लोगों की मजबूरी इस तरह समझ लीजिए कि अगर किसी के यहां शादी हो या अन्य कोई समारोह का आयोजन करना हो तो लोगों के पास सिर्फ नवंबर और दिसंबर का महीना ही कामयाब है. साल के बाकी के महीनों में वे इस तरह का आयोजन नहीं कर सकते हैं. दरअसल, त्रिवेणीगंज की लतौना दक्षिण पंचायत स्थित नेपाली गांव में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. यह ऐसा गांव है जहां एक छोटा नेपाल बसता है. इस गांव के लोगों को सड़क तक नसीब नहीं हो सका है. पगडंडियों के सहारे ही या खेतों से होकर ही आप इस गांव में जा सकते हैं. यहां के लोग साल के तीन महीने तक चारों ओर पानी से घिरे होते हैं. बाकी के महीनों में गांव के चारों तरफ लगी फसलों की वजह से परेशानी होती है. इसलिए लोग नवंबर और दिसंबर में ही शादी और अन्य आयोजन से जुड़े काम को निपटाना पसंद करते हैं. क्योंकि गांव में फसल के समय चारों तरफ खेती हो जाती है जिससे गांव में किसी तरह का वाहन प्रवेश नहीं कर पाता है. इसलिए आयोजन नहीं होता है.More Related News