
बिरसा मुंडा ने क्यों शुरू किया था नया धर्म, क्या आज भी हैं उसको मानने वाले
BBC
आज विश्व आदिवासी दिवस है. इतिहास प्रसिद्ध आदिवासी नेता बिरसा मुंडा ने आज़ादी की लड़ाई में योगदान दिया था, लेकिन उन्होंने नया धर्म क्यों शुरू किया.
बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के ऐसे नायक रहे, जिनको जनजातीय लोग आज भी गर्व से याद करते हैं. आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा ने तब के ब्रिटिश शासन से भी लोहा लिया था. उनके योगदान के चलते ही उनकी तस्वीर भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी हुई है. ये सम्मान जनजातीय समुदाय में केवल बिरसा मुंडा को ही अब तक मिल सका है. बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड के खूंटी ज़िले में हुआ था. उनके जन्म के साल और तिथि को लेकर अलग-अलग जानकारी उपलब्ध है, लेकिन कई जगहों पर उनकी जन्म तिथि 15 नवंबर, 1875 का उल्लेख है. हालांकि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे कुमार सुरेश सिंह ने बिरसा मुंडा पर एक शोध आधारित पुस्तक लिखी थी, 'बिरसा मुंडा और उनका आंदोलन.' कुमार सुरेश सिंह छोटानागपुर के कमिश्नर रहे और उन्होंने आदिवासी समाज का विस्तृत अध्ययन किया था. उनको गुज़रे 15 साल होने को हैं, लेकिन बिरसा मुंडा पर उनकी किताब प्रमाणिक किताबों में गिनी जाती है. इस किताब के मुताबिक बिरसा मुंडा का जन्म का साल 1872 है. इसके अलावा कई अन्य दिलचस्प जानकारियां इसमें मौजूद हैं. पुस्तक में कई स्रोतों के माध्यम से बताया कि गया कि बिरसा मुंडा का परिवार ईसाई धर्म को स्वीकार चुका था.More Related News